रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण की पांच दिवसीय अमेरिका यात्रा शुक्रवार को संपन्न हो गई. अधिकारियों ने कहा कि यह यात्रा हिंद महासागर में भारत की नौसैन्य क्षमताओं को बढ़ाकर दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को गति देने पर केंद्रित थी. साथ ही इसका मकसद ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में अमेरिकी कंपनियों की भागीदारी और द्विपक्षीय रक्षा कारोबार को बढ़ाना भी था.
एफ-16 विमान मामले पर नहीं बन पाई बात
हालांकि इस दौरान एफ-16 विमानों के भारत में निर्माण या ड्रोन संबंधी सौदों को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई. अधिकारियों के मुताबिक रक्षा क्षेत्र में भारत की जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अमेरिका का रवैया सकारात्मक है और वह ऐसे कदम उठा रहा है जिससे उसे सामरिक लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी. सीतारमण ने सोमवार को पेंटागन में पत्रकारों से कहा कि दोनों देशों की इच्छा रक्षा क्षेत्र में सकारात्मकता और तेजी से आगे बढ़ने की है.
पीएम मोदी ने की थी अमेरिकी नेताओं से मुलाकात
पिछले एक महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के कई नेताओं से मुलाकात की है. उन्होंने सिंगापुर में अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस से मुलाकात की थी. इसके अलावा उन्होंने हाल ही में जी-20 शिखर सम्मेलन से इस इतर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ त्रिपक्षीय वार्ता की थी. वहीं, इसी साल गर्मियों के दौरान अमेरिका के रक्षामंत्री जेम्स मैटिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. रक्षामंत्री के रूप में पहली अमेरिका यात्रा के दौरान सीतारमण का भव्य स्वागत किया गया. सीतारमण ने अपनी इस यात्रा के बारे में कहा कि यह द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को आगे ले जाने में मददगार होगी.