मोतिहारी में रालोसपा के खुले अधिवेशन को संबोधित करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने रामधारी सिंह दिनकर की कविता पढ़ी-सिर्फ पांच ग्राम मांगे थे वो भी नहीं मिला। आज भी उन्होंने संशय की स्थिति को बरकरार रखते हुए कोई फैसला नहीं लिया।
उन्होंने मंच से सीएम नीतीश कुमार और भाजपा पर जमकर निशाना साधा और कहा कि जिस तरह से भाजपा और नीतीश कुमार ने रालोसपा के साथ व्यवहार किया उससे हमें बहुत तकलीफ हुई है। बिहार में भाजपा नेता जुमलेबाज हो गए हैं और मंदिर-मस्जिद को भाजपा ने चुनाव का मुद्दा बना लिया है।
राजनीति में जनता पहले, सीटें बाद में
चिंतन शिविर में उन्होंने कहा कि राजनीति में जनता पहले होती है, सीट बाद में होती है। हमें सीट की चिंता नहीं, सम्मान की चिंता नहीं, जनता की चिंता नहीं है। ऊपर बैठे लोगों को जनता की चिंता नहीं। ये लोग सिर्फ अपने लिए सोचते हैं। मंदिर कहीं बने, मस्जिद कहीं बने ये कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए।
मुझे नीच कहा गया, मैंने अपमान सहा
उन्होंने कहा कि मैंने अमित शाह से बात करने की कोशिश की, बात नहीं हुई फिर मैंने पीएम नरेंद्र मोदी से बात करने की कोशिश की। मैं अमित शाह से बात करने दिल्ली गया था और इधर बिहार में हमारी पार्टी को तोड़ने का प्रयास किया गया। मैं नीतीश कुमार की बहुत इज्जत करता था, लेकिन उन्होंने मुझे नीच कहा। इससे मुझे बहुत ठेस लगी। आप मुख्यमंत्री हैं तो मैं भी केंद्रीय मंत्री हूं।
मैंने गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए आवाज उठाई और इस कारण अगर हम नीच हैं तो हां, हम नीच हैं। एक ओर दिल्ली में मुझे मिलने का समय नहीं मिला तो दूसरी जगह बिहार में मेरी पार्टी को खत्म करने की रणनीति की गई।
हम संकल्प लेते हैं कि समाज को शिक्षित और संगठित बनाने का काम करेंगे। तीन दिनों का चिंतन शिविर का आयोजन किया गया था। दो दिनों से हमने साथियों के साथ बैठकर मंथन किया।
जिनपर भरोसा किया वही बदल गए
उन्होंने कहा कि जिनपर भरोसा किया, वही बदल गए। हमने बिहार को बदलने की इच्छा की थी। नए बिहार के निर्माण का सपना देखा थो वो पूरा नहीं हुआ। जो स्थिति आज से पंद्रह साल पहले थी आज फिर वैसी ही स्थिति हो गई है। अभी राजनीति में लंबी यात्रा करनी है। बहुत काम करने की जरुरत है।
बिहार में नहीं चलेगा नीतीश मॉडल
बिहार की दशा और दिशा बदलने का प्रयासरत रहूंगा। समाज को बदलना जरूरी है। ऊंच-नीच, बड़ा-छोटा का भेदभाव मिटाना होगा। शिक्षा में सुधार का काम किया। आज गरीबों के लिए शिक्षा के बेहतर व्यवस्था जरूरी है। नीतीश मॉडल बिहार में नहीं चलेगा। हमने या नीतीश ने किसी प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़े हैं। तब जो पढ़ाई होती थी वो अब खत्म हो गई है।
चिंतन शिविर में कुशवाहा ने सबसे पहले बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को नमन किया। उन्होंने कहा कि अब बहुत हुआ और हमारे सामने अब बहुत सोच-समझकर फैसला लेने का वक्त आ गया है। पार्टी नेताओं ने फैसला लेने के लिए मुझे अधिकृत किया है।
नहीं पहुंचे रालोसपा के दोनों विधायक और सांसद
बता दें कि इस खुले अधिवेशन में भाग लेने रालोसपा के दोनों विधायक और एकमात्र सांसद रामकुमार शर्मा नहीं पहुंचे हैं। कुशवाहा के एनडीए छोड़ने का संकेत पार्टी के नेता आनंद माधव ने दी और कहा कि पार्टी के चिंतन शिविर में हम सबने बैठकर विचार विमर्श किया है और बस अब फैसला आने वाला है।
कांग्रेस नेता कौकब कादरी ने दिया बड़ा बयान
इधर, उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए छोड़ने के फैसले से पहले ही कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने उन्हें नसीहत देते हुए कहा कि अगर महागठबंधन में आना चाहते हैं तो स्वागत है। लेकिन, यहां सीएम पद की कोई वैकेंसी नहीं है। उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा को सीएम पद देने का सवाल ही नहीं है। महागठबंधन में रालोसपा आए और कांग्रेस के सहयोगी के रूप में काम करे। एनडीए छोड़ें तो महागठबंधन में कुशवाहा का स्वागत है।
कुशवाहा ने पहली बार भाजपा पर साधा निशाना
उपेंद्र कुशवाहा ने पहली बार भाजपा पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि जब चुनाव नजदीक आ गया तब भाजपा के लोग राम मंदिर की बात कह रहे हैं। मंदिर बनाना किसी राजनीतिक पार्टी का काम नहीं है। राममंदिर को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि चुनाव के वक्त मंदिर की बात करने का मतलब साफ है कि जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है।
बिहार की नीतीश सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त
कुशवाहा नीतीश सरकार पर लगातार आरोप लगाते रहते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार हर मोर्चे पर फेल है। इसे उखाड़ फेंकने में ही भलाई है। नीतीश सरकार के रहते बिहार का भला नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा था कि मैं एनडीए में हूं मगर राज्य सरकार की नीति एवं नीयत के साथ नहीं हूं। यह सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है।