सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने पिछले दिनों एक इंटरव्यू में 12 जनवरी को चार जजों की ओर से की गई विवादित प्रेस कांफ्रेंस पर बातचीत की थी. उन्होंने इस दौरान कहा था कि जजों ने वो विवादित प्रेस कांफ्रेंस का निर्णय इसलिए लिया था क्योंकि उन्हें लग रहा था कि तत्कालीन सीजेआई को कोई बाहर से कंट्रोल कर रहा है.
मीडिया में उनके इस बयान के सामने आने के बाद एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. वकील ने इसमें मांग की थी कि अगर सुप्रीम कोर्ट में बाहरी दखल होने की बात है तो इसकी जांच कराई जानी चाहिए. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस मामले पर कहा है कि किसी संस्थान की विश्वसनीयता उसको चलाने वाले लोगों पर निर्भर करती है, मीडिया रिपोर्ट पर नहीं. उन्होंने कहा कि अगर वकील अपने काम का स्टैंडर्ड मेंटेन करके रखेंगे तो न्यायपालिका की गरिमा भी बनी रहेगी. संस्था की विश्वसनीयता उन लोगों से है जो इसे बनाए रखते हैं. यह विश्वसनीयता अखबारों की रिपोर्ट के आधार नहीं बनती. उन्होंने यह टिप्पणी वकील की जनहित याचिका पर की है.
बता दें कि इस साल 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की ओर से की गई विवादित प्रेस कांफ्रेंस पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज कुरियन जोसेफ ने बड़ा बयान दिया है. रिटायर जज जोसेफ ने इस प्रेस कांफ्रेंस पर कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य जजों के साथ उसमें इसलिए हिस्सा लिया था क्योंकि उन्हें लग रहा था कि तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) दीपक मिश्रा को कोई बाहर से कंट्रोल कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें ऐसा भी प्रतीत हो रहा था कि तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा सुप्रीम कोर्ट के जजों को राजनीतिक पक्षपात के साथ केस आवंटित कर रहे थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कुरियन जोसेफ ने 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के अन्य तीन जजों जस्टिस जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई और मदन बी लोकुर के साथ मिलकर की गई प्रेस कांफ्रेंस पर गहराई से बातचीत की. उनसे पूछा गया कि जस्टिस दीपक मिश्रा के सीजेआई पद संभालने के महज चार महीनों में ऐसा क्या गलत हुआ. जवाब मेें जोसेफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कामकाज को बाहरी रूप से प्रभावित करने की कई घटनाएं हुईं. ये सभी घटनाएं जजों की बेंच को आवंटित किए जा रहे केसों और सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति से संबंधित थीं.