लखनऊ महोत्सव नाट्य समारोह की अंतिम संध्या में ‘माई स्वीट हार्ट’ का सुंदर मंचन
लखनऊ : कलाकार असोसिएशन की ओर आयोजित 18वां अटल लखनऊ महोत्सव नाट्य समारोह में बुधवार को “थर्ड विंग” संस्था की ओर से “माई स्वीट हार्ट” नाटक का मंचन कैसरबाग स्थित राय उमानाथ बली ऑडिटोरियम में किया गया। इसका मंचन उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी सम्मान से अलंकृत पुनीत अस्थाना की प्रस्तुति, परिकल्पना और निर्देशन में किया गया। रेखा कौशिक और पुनीत अस्थाना के लिखे नाटक ने दिल फेंक आशिकों को सचेत करते हुए सच्चे प्यार को पहचानने का संदेश दिया।
भारतीयम् के सहयोग से मंचित इस नाटक में दर्शाया गया कि नाटक का केन्द्रीय पात्र दिल फेंक “दीनानाथ” एक सफल बिज़नेसमैन हैं। उनके युवा बेटे का नाम प्रकाश और बेटी का नाम बेबी है। दूसरी ओर मार्डन विचारों वाली प्रिया है। उनके पति सखाराम, काशीपुर में अपनी शुगर फैक्ट्री और गन्ने के फार्म में व्यस्त रहते हैं। प्रिया अपनी कस्बाई जीवन से आजाद होने के लिए लखनऊ आ जाती है। लखनऊ में उसकी मुलाकात दीनानाथ से होती है। दोनों के बीच प्रेम गुलाचे लेने लगता है। स्थितियां तब हास्यजनक हो जाती है जब दीनानाथ और प्रिया शादी के सपनों में खोए होते हैं और तभी दीनानाथ का बेटा प्रकाश, बेटी बेबी और दीनानाथ की पत्नी, शोभा भी वहां रहने चली आती है। इसी बीच प्रिया और शोभा की मुलाकात में पता चलता है कि प्रिया और शोभा कॉलेज के दिनों की सहेलियां हैं। कहानी में एक दिलचस्प टुइस्ट तब आता है जब प्रकाश की दोस्त और कैबरे डांसर ज़ोहरा पर भी दिल फेंक दीनानाथ का दिल आ जाता है। दूसरी ओर प्रकाश प्रिया से अपने प्रेम का इज़हार करने लगता है।
इसी बीच, शोभा अपने प्रेमी सखा के साथ वहां आ पहुंचती है। वहां खुलासा होता है कि सखा तो प्रिया के पति हैं। तब ज़ोहरा, जो कि वास्तव में बेबी की क्लासफैलो है, वहां आकर दीनानाथ और प्रिया को बताती है कि वो सखाराम को जानती है और इसीलिये उन्हें लखनऊ बुलाकर सबने मिलकर यह स्वांग रचाया ताकि प्रिया और सखाराम आपस में मिल जायें और दीनानाथ भी अपने परिवार में लौट आयें। इस हास्य नाटक का रोमांच अंत तक बना रहा। दर्शकों ने इसका भरपूर आनंद लिया।
प्रिया का किरदार नवनीत कौर भाटिया ने दिलकश अंदाज में पेश किया। वरिष्ठ रंगकर्मी केशव पंडित ने दीनानाथ का किरदार सशक्त रूप में अभिनीत किया। पिंकी की भूमिका डॉ.शर्मिष्ठा विश्वास, प्रकाश का सोम गांगुली, शोभा का पारूलकांत, ज़ोहरा का श्रद्धा बोस, सखा का रामेन्द्र लाल और रश्मि का नंदिता पंडित ने अदा कर प्रशंसा लूटी। पारुल नवनीत की वेशभूषा परिकल्पना, रत्ना आनंद की सैट डिजाइन, दिनेश का प्रकाश संचालन, राजीव रंजन सिंह के संगीत संकलन और रत्नांगी पंडित का संगीत संचालन नाट्यानुरूप रहा। मंच व्यवस्था रामेन्द्र लाल और प्रस्तुति नियन्त्रण नन्दिता पंडित ने संभाली। केशव पंडित सह निर्देशक रहे।