मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान चुनाव प्रचार में भी राहुल गांधी की मंदिर यात्राओं का सिलसिला जारी है. इस कड़ी में उन्होंने पिछले दिनों पुष्कर मंदिर में दर्शन के साथ ही एक कदम आगे बढ़ते हुए खुद को कौल ब्राह्मण बताते हुए अपना गोत्र दत्तात्रेय बताया. दरअसल उससे पहले बीजेपी ने उनसे गोत्र पूछा था. राहुल गांधी के जवाब को उसी कड़ी में देखा जा रहा है. जाहिर है कि सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर खूब हो-हल्ला हो रहा है.
राहुल गांधी की यह कहकर आलोचना रही है कि देश की सबसे पुरानी और ‘सेक्युलर’ छवि वाली पार्टी कांग्रेस ‘नरम हिंदुत्व’ का कार्ड खेल रही है. कांग्रेस के इन विरोधाभासों पर पार्टी सांसद शशि थरूर ने जवाब दिया है. उन्होंने दिल्ली में टाइम्स लिटफेस्ट में शिरकत करते हुए राहुल गांधी के मंदिर जाने की वजहें बताईं.
उन्होंने कहा, ”लंबे समय तक हम (कांग्रेस) यह महसूस करते रहे कि अपने निजी धार्मिक विश्वासों को सार्वजनिक करना उचित नहीं है. हम अपनी आस्थाओं को मानते रहे लेकिन उसको सार्वजनिक रूप से प्रकट करने की जरूरत महसूस नहीं की. उसकी एक आंशिक वजह यह भी रही कि कांग्रेस नेहरूवादी सेक्युलरवाद से प्रभावित रही जिसकी जड़ें आजादी के आंदोलन से जुड़ी रहीं.” इसके साथ ही शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस के इस ‘विचार’ को बीजेपी ने वास्तविक हिंदुओं और अनीश्ववादी सेक्युलरों में दिखाने का प्रयास किया.
शशि थरूर ने कहा, ”…और ऐसे देश में जहां धार्मिकता इतनी गहरी है और यदि विमर्श को इस तरह पेश किया जाएगा तो सेक्युलरवादी हमेशा हारेंगे. इसलिए हमने तय किया कि अब यह समय आ गया है कि हम अपनी आस्था को प्रकट करेंगे लेकिन इसको ऐसे समावेशी फ्रेमवर्क में पेश किया जाए जिसमें दूसरे धर्मों में भी ये स्वीकार हो.”
जब शशि थरूर से पूछा गया कि क्या राहुल गांधी का इस तरह मंदिरों में जाना अवसरवाद नहीं है तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष की यात्राओं को इस तरह से देखना उचित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी यदि खुद को शिव भक्त कहते हैं तो उसका आशय भी बखूबी समझते हैं. शशि थरूर ने कहा, ”इस तरह की यात्राओं के अब फोटो आने से पहले ही राहुल गांधी के साथ उनकी धर्म और आध्यात्मिकता पर संवाद हुआ है. वह धर्म और आध्यात्मिकता के मसले पर बहुत ही विचारशील और अध्ययनशील भारतीय राजनेता हैं.”