देश में इस समय विधानसभा चुनाव का समर चल रहा है और कुछ दिनों के बाद वो भी अंतिम दौर में पहुंच जाएगा। जानकारी के अनुसार बता दें कि राजस्थान में मौजूदा विधानसभा चुनाव दिग्गज नेताओं के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। वहीं कुछ नेताओं के लिए तो सियासी तौर पर जीने-मरने का सवाल बन गया है। अपने रिश्तेदारों को चुनाव लड़ाकर दिग्गज नेताओं ने अपने लिए रात और दिन का चैन खत्म कर लिया है। अब इनकी हार और जीत उनके सियासी भाग्य की भी नई इबारत लिखेगी।
यहां बता दें कि चुनावों के परिणाम नई विधानसभा की तस्वीर तो लिखेंगे ही, साथ ही उन दिग्गज नेताओं के सियासी भाग्य का फैसला भी करेंगे, जिनके लिए यह चुनाव आखिरी हो सकता है। कुछ दिग्गजों ने अपने रिश्तेदारों को चुनावी समर में उतारकर चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ दिया है। मौजूदा चुनाव इनकी साख भी तय करेंगे, जिनमें से कुछ चेहरे तो ऐसे हैं, जो राजस्थान विधानसभा की बरसों से शान रहे हैं। लेकिन जनादेश ने साथ नहीं दिया तो यह उनकी आखिरी सियासी पारी साबित हो सकती है। यूं तो राजनीति के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती, इसके बावजूद चुनाव सीधे तौर पर राजनीतिक प्रतिष्ठा से जुड़े रहते हैं। क्षेत्रीय धाक को भी यह चुनाव परिणाम तय करते हैं।
गौरतलब है कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस में जमकर घमासान छिड़ा हुआ है। वहीं बता दें कि घनश्याम तिवाड़ी के लिए यह चुनाव सियासी तौर पर जीवन-मरण से कम नहीं है। वहीं बता दें कि विधानसभा में वह अपने आप में चलती-फिरती संसदीय किताब हैं।तिवाड़ी का विधानसभा का कैरियर स्वर्णाक्षरों से सज्जित है। मौजूदा सांगानेर का चुनाव उनकी साख से जुड़ा है। अगर हारे तो राजनीतिक प्रतिष्ठा और कद दोनों को नुकसान होगा। भारत वाहिनी दल का अस्तित्व भी तिवाड़ी के चुनावी कैरियर से जुड़ा है।