छह दिसंबर से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शुरू होने वाली टेस्ट सीरीज से पहले दोनों टीमों की ओर से बयानबाजी जोरों पर हैं. इनमें सबसे ज्यादा चर्चा आक्रामकता पर हो रही है. इस पर चर्चा तभी से शुरू हो गई थी जब टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हो रही थी. उस समय भारतीय कप्तान विराट कोहली से आक्रामकता के बारे में कई तरह के सवाल भी पूछे गए थे. अब एक बार फिर विराट ने इस पर बयान दिया है.
विराट का कहना है कि वे ऑस्ट्रेलिया के अपने पिछले दौरे की तुलना में अब ज्यादा परिपक्व हो गए हैं और उन्हें आगामी टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों से किसी तरह से भिड़ने की जरूरत नहीं लगती. कोहली मैदान पर आक्रामक रवैये के लिए मशहूर हैं. 30 साल के विराट पिछले दौर पर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों से स्लेजिंग या छींटाकशी में भिड़ गए थे. अब भारतीय कप्तान ने कहा है कि उन्होंने बीते अनुभवों से सीख ली है और उन्हें सीरीज के दौरान इस तरह की किसी घटना की उम्मीद नहीं है.
अब ज्यादा आत्मविश्वास
कोहली ने ‘मैक्वारी स्पोर्ट्स रेडियो’ से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पिछली बार की तुलना में मैं अब ज्यादा आत्मविश्वास से भरा हूं, मुझे किसी को भी कुछ साबित करने की जरूरत नहीं दिखती, इसलिए मुझे विरोधी टीम के किसी खिलाड़ी से किसी तरह से भिड़ने की जरूरत नहीं है और मुझे लगता है कि जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, इस तरह के बदलाव आते रहते हैं.’’
शानदार रिकॉर्ड है विराट का ऑस्ट्रेलिया में
विराट ने अपने करियर के 73 टेस्ट में 54.57 के औसत से 6331 बनाए हैं, जिसमें 24 शतक शामिल हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विराट ने 15 टेस्ट मैचों की 27 पारियों में अब तक 6 सेंचुरी, तीन हाफ सेंचुरी और 50.84 के औसत से 1322 रन बनाए हैं. पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने चार शतक के साथ 692 रन बनाए थे. इस साल विराट अपने बेहतरीन फॉर्म में हैं.
बॉल टेम्परिंग विवाद से शुरू हो गई थी आक्रामकता पर बहस
दरअसल बॉल टेम्परिंग विवाद के बाद ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की इस बात पर भी आलोचना हुई थी की वे काफी आक्रामक हो जाते हैं और मैच जीतने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. इस विवाद के बाद कई लोगों का यह मानना था कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को ज्यादा आक्रामकता से काम लेना छोड़ केवल खेल पर ध्यान देना चाहिए. वहीं कई दिग्गज तक इस बात से सहमत लगे.
क्लार्क ने पैरवी की थी आक्रामकता की
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क ने कहा था, ‘‘मुझे लगता है कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को पसंदीदा बनने की चिंता छोड़ देनी चाहिए. ऑस्ट्रेलियाई शैली की कड़ी क्रिकेट खेलो चाहे कोई पसंद करे या नहीं, यह हमारे खून में है. अगर आप अपनी इस शैली को छोड़ने की कोशिश करते हैं तो हो सकता है कि हम दुनिया की सबसे पसंदीदा टीम बन जाएं लेकिन हम मैच नहीं जीत पाएंगे. खिलाड़ी जीतना चाहते हैं.’’