विश्व हिंदू परिषद की धर्मसभाओं के बीच अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद (अहिप) ने भी 6 दिसंबर को प्रदेश भर के जिलाधिकारी कार्यालयों पर महाआरती का एलान कर तपिश बढ़ाने की तैयारी की है। महाआरती के बाद अहिप के कार्यकर्ता डीएम के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग करेंगे।
अहिप के प्रांत संगठन मंत्री वेद प्रकाश सचान ने आरोप लगाया कि राम मंदिर पर विहिप और भाजपा का रवैया टालू है। इनका मकसद चुनाव में किसी तरह अपने पक्ष में माहौल बनाकर राजनीतिक लाभ हासिल करना है। पर, अहिप हिंदुओं से धोखाधड़ी नहीं होने देगी।
अहिप के कार्यकर्ता 6 दिसंबर को प्रदेश भर में डीएम कार्यालयों पर महाआरती करेंगे। हनुमान चालीसा का पाठ कर मंदिर निर्माण का माहौल बनाने और इसे पूरा करने की प्रार्थना करेंगे।
कल दिल्ली में बैठक, 31 जनवरी तक सदस्यता
लोगों से संपर्क और संवाद के लिए अहिप की तरफ से चलाया जा रहा जिला बैठकों का सिलसिला बृहस्पतिवार को अयोध्या में पूरा हो गया। इसमें 1 दिसंबर से शुरू हो रहे सदस्यता अभियान की तैयारियों की समीक्षा की गई। सदस्यता अभियान 31 जनवरी तक चलेगा। 1 व 2 दिसंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. तोगड़िया की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में आगे के कार्यक्रमों का खाका खींचा जाएगा।
इसलिए गरम रहेगा राममंदिर पर माहौल
वर्ष 1992 में छह दिसंबर को ही विवादित ढांचा गिराया गया था। तब से प्रतिवर्ष इस दिन मंदिर व मस्जिद समर्थक शौर्य दिवस व काला दिवस मनाते हैं। इस बार तोगड़िया के संगठन ने भी महाआरती का एलान कर सरगर्मी और बढ़ा दी है। विहिप की धर्मसभाओं के बीच तोगड़िया का यह कार्यक्रम हिंदुत्व के एजेंडे पर जहां माहौल गरमाएगा, वहीं मंदिर के सहारे हिंदुत्व के एजेंडे पर सक्रिय संगठनों के बीच वर्चस्व की जंग भी तेज करेगा। गौरतलब है कि विहिप की अयोध्या, नागपुर और बंगलूरू में धर्मसभाओं के बाद अब 9 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली धर्मसभा में पांच लाख लोगों को जुटाने की तैयारी है। इसके अलावा सभी संसदीय क्षेत्रों में धर्मसभाओं का सिलसिला इसी सप्ताह शुरू हो रहा है। शिवसेना पहले ही मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग कर भाजपा पर दबाव बना चुकी है।
18 दिसंबर से मठ-मंदिरों में अनुष्ठान
विहिप ने राम मंदिर निर्माण की बाधाएं दूर करने के लिए गीता जयंती पर 18 दिसंबर से 26 दिसंबर तक सभी मठ-मंदिरों पर अनुष्ठान करने की योजना बनाई है। इनमें स्थानीय लोगों को भी आमंत्रित किया जाएगा। सभी जगह कोई न कोई संत रहेगा जो लोगों को मंदिर निर्माण के लिए जुटे रहने का संकल्प दिलाएगा। कुंभ में 31 जनवरी व 1 फरवरी को धर्मसंसद प्रस्तावित है। धर्मसंसद के एजेंडे में भी गंगा सहित नदियों की सुरक्षा व संरक्षा, गाय की सुरक्षा सहित अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पर भी चर्चा प्रस्तावित है।