संसद और न्यायपालिका में स्थगन दुर्भाग्यपूर्ण : राष्ट्रपति

नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को संविधान दिवस के मौके पर संसद और न्यायपालिका में स्थगन के कारण कार्यवाही के बाधित होने को राष्ट्रहित में दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि संविधान नागरिकों को अधिकार देता है, तो नागरिक भी इसका पालन करके संविधान को शक्ति प्रदान करते हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यहां आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संसदीय कार्यवाही में व्यवधान एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि इसे नागरिक के न्याय की समझ पर अतिक्रमण के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब न्यायपालिका लगातार स्थगन के समाधान खोजने की कोशिश करती है तो मामलों को कम करने और कम-से-कम मुकदमेबाजी की असुविधा के लिए यह न्याय की गुणवत्ता को बढ़ाता है।

न्यायापालिका में अंग्रेजी के वर्चस्व को समाप्त कर हिन्दी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को स्थान देने की मुहिम को बल देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रयासों से फैसलों की प्रति अब हिन्दी में भी उपलब्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की कार्यवाही को आम लोगों से जोड़ने के लिए न्यायालयों को इसकी प्रति स्थानीय भाषा में उपलब्ध करानी चाहिए। कोविंद ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि उम्मीद है कि अगले वर्ष से सभी उच्च न्यायालय फैसलों की कॉपी स्थानीय भाषा में उपलब्ध कराना शुरू कर देंगे।

संविधान का पालन नहीं करने पर भुगतने होंगे गंभीर परिणाम : मुख्य न्यायाधीश

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि 26 नवंबर, 1949 उस दिन का प्रतिनिधित्व करता है जिसने अनेक भारतीयों के दिल में एक राष्ट्र के रूप में रहने की रहने की उम्मीद जगाई थी। संविधान ने पिछले सात दशकों के दौरान हर परिस्थिति में गरीबों की आवाज को उठाया इसके कारण ही दिनोंदिन वह मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा कि कठिन समय में भी संविधान हमारा मार्गदर्शन करता है। उन्होंने संविधान का पालन करने की सलाह देते हुए कहा कि यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमें देश के संविधान पर विश्वास करना होगा। उन्होंने संवैधानिक नैतिकता के विषय में कहा कि संवैधानिक नैतिकता हमेशा एक जैसी रहनी चाहिए। इसे स्पष्ट रूप से परिभाषित होना चाहिए ताकि यह अलग-अलग न्यायाधीशों के अनुसार बदले नहीं। उन्होंने कहा कि देश की आम जनता संविधान की ताकत को जानती है कि वह अपने एक वोट से शक्तिशाली नेता को उसके पद से हटा सकती है।

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