अटल पर बीजेपी की मेहरबानी के निहितार्थ!

कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर,
क्या हक़ीक़त है और सियासत क्या!

-शोएब ग़ाजी

सागर ख़य्यामी की यह शायरी अतीत के झरोखों से सियासत का नंगा नाच देखते-देखते जवान होने लगी। चेहरे में चेहरा देख परछाई का भी दम घुटता होगा कि क्या हक़ीक़त है और सियासत क्या। दर्पण ने तो कब का चेहरे पर लगे दाग और दामन पर लगे धब्बे से जैसे समझौता कर लिया हो। अमूल दूध पीता इंडिया हर सुबह एक हाथ में चाय का प्याला दूसरे में अखबार थामे अटल की याद को तरोताज़ा करता है। 2009 में सत्ता की राजनीति से संन्यास लेने वाले अटल बिहारी वाजपेयी ने शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा कि मेरी मौत के बाद राजनेता मेरे नाम पर सियासत की भट्ठी पर रोटियां सेंकेंगे।

हिन्दुस्तान की सियासत के पटल पर अटल एक ऐसा नाम था जिनकी अपनी भाषणकला, मनमोहक मुस्कान, लेखन व विचारधारा के प्रति निष्ठा तथा ठोस फैसले लेने की आदत ने उन्हें सर्वप्रिय बना दिया। सिर्फ हिन्दुस्तान ही नहीं बल्कि दूसरे मुलकों भी उन्हें ज़ुबां का उस्ताद कहा जाता था। जब जनसभा या संसद में बोलने खड़े होते तो अटलजी के समर्थक और विरोधी दोनों उन्हें बहुत ही गौर से सुनना पसंद करते थे।14 अगस्त को तबीयत बिगड़ने की ख़बर के बाद 24 घंटे में प्रधानमंत्री मोदी दो बार उनसे मिलने गए। 11 जून को जब वाजपेयी को एम्स में भर्ती कराया गया तब भी उनकी हालत अब-तब में ही थी, लेकिन नेताओं का वो दरबार सूना था। खैर, लंबे समय से बीमार चल रहे 93 वर्षीय वाजपेयी को एम्स ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर 16 की अगस्त शाम पाँच बजकर पाँच मिनट पर निधन की पुष्टी कर दी।

हालांकि सोशल का एक तबका और शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय रावत ने सवाल उठाया था कि क्या अटल का निधन 16 अगस्त को ही हुआ था या उस दिन उनके निधन की घोषणा की गई, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण बाधित न हो। बात अभी थमी ना थी कि सीपीआई के नेता अतुल कुमार अंजान का दावा सामने आया कि एम्स के कुछ वरिष्ठ डॉक्टरों से उनकी बात हुई थी।उन्होंने उन्हें इस बात की जानकारी दी कि अटल बिहारी वाजपेयी की मौत 14 अगस्त को सुबह ही हो गई थी। उसके बाद उन्हें सुपर वेंटिलेटर पर रखा गया और कुछ ‘विशेष लोगों के इशारे’ पर इसकी जानकारी मीडिया या देश को नहीं दी गई। अंजान ने पूछा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि किन वजहों से और किनके इशारे अटल जी के देहावसान की जानकारी को रोककर रखा गया। 15 अगस्त को जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी लालकिले से अपने 82 मिनट के भाषण के सफर को तय कर रहे थे, तो अटलजी के निधन को लेकर अटकलों का बाज़ार भी गर्म था।

आगे राजनीतिक मैदान में अटल की अस्थियों को लेकर भी एक दूसरे पर निशाना साधा गया, ।जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला पर भाजपा ने मौत पर सियासत करने का आरोप लगाया था। हालांकि इससे पहले शुक्ला ने भी भाजपा पर पूर्व प्रधानमंत्री की अस्थियों को बाहर राज्य ले जाकर मौत पर राजनीति करने का आरोप लगा चुकी थीं। उन्होंने कहा था कि यह सब 2019 के चुनावी फायदे के लिए किया जा रहा है। भाजपा कांग्रेस के निशाने पर थी तो कांग्रेस भाजपा के। शब्द बाण का सिलसिला अभी थमा नहीं था कि भाजपा शासित राज्यों की सरकारें कम समय में सुर्खियां बटोरने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता को भुनाने में लग गयीं।शहर का शहर और योजनाएं अटल के नाम पर रखी जाने लगीं। ऐतिहासिक रामलीला मैदान का नाम बदल कर पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने के की कवायद शुरू होई, तो वहीं पर योगी सरकार ने लखनऊ का मशहूर चौराहा हजरतगंज का नाम बदल कर अटल चौराहा के नाम से ऐलान कर दिया। ऐतिहासिक मैच से ठीक एक दिन पहले लखनऊ के स्टेडियम का नाम इकाना से बदल कर अटल बिहारी वाजपेयी इंटरनेशनल स्टेडियम हो गया।

अब खास बात यह है कि अटल संस्कृति, अटल विरासत थीम पर होने वाले लखनऊ महोत्सव के तहत नाट्य समारोह का आयोजन किया जाएगा। महोत्सव की तरह नाट्य समारोह भी पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल विहारी बाजपेयी को समर्पित होगा। हालांकि कांग्रेस के समय भी नामकरण पर जोर दिया गया था लेकिन तब भाजपा नामकरण को लेकर विरोध कर रही थी। कलम को विराम देते-देते मेरे दिल में बस एक ही सवाल झकझोर रहा है कि जो अटल निधन से पिछले 14 वर्षों से बीमार तो थे पर धीरे-धीरे इतनी आसानी से सार्वजनिक जीवन से ग़ायब कैसे हो गये! सुषमा स्वराज ने तो यहां तक कहा था बीजेपी के कद्दावर नेता वाजपेयी सार्वजनिक जीवन से रिटायर नहीं होंगे। इतने में एक और सवाल का जन्म हो गया कि क्या बीजेपी सरकार 2019 के चुनावी समर में अटल को लेकर लोगों के भावनाओं रूपी उठे ज्वार को वोट में बदलना चाहती है या फिर विकास की पोटली में क्या है, उसे भी जनता जनार्दन के सामने परोसेगी!

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com