भारत के महान क्रिकेटर और देश को पहला क्रिकेट विश्व कप जिताने वाले कपिल देव अब लेखक बन गए हैं। उनके लेखक बनने की कहानी बेहद अनोखी है। उन्होंने सोते समय ऐसा सपना देखा कि क्रिकेट बैट और गेंद की जगह कलम थाम दी। उन्होंने सिख परंपरा पर अनोखी पुस्तक ‘वी द सिख अराउंड द वर्ल्ड’ लिखी है। इसका विमाेचन भी बेहद पावन दिवस श्री गुरु नानक देव के 449वें प्रकाशोत्सव पर हुआ।
विश्व के 100 गुरुद्वारों पर लिखी पुस्तक ‘वी द सिख अराउंड द वर्ल्ड’ लिखी
यह पुस्तक विश्व के 100 गुरुद्वारों और वहां की सुंदर व्यवस्था पर आधारित है। पुस्तक का विमोचन सुल्तानपुर लोधी में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किया। पुस्तक में देश विदेश के गुरुद्वारों की सामग्री को 250 पन्नों में समेटा गया है। कपिलदेव ने बताया कि इस किताब को लिखने का ख्याल उन्हें ऐसे ही नहीं आया। पांच साल पहले उन्हें एक सपना आया था। वह एक सफर के दौरान गाड़ी में सो रहे थे।
खुद की लिखी पुस्तक के साथ पूर्व क्रिकेटर कपिलदेव।
मनमोहन, बदनौर व कैप्टन ने किया पुस्तक ‘वी द सिख अराउंड द वर्ल्ड’ का विमोचन
उन्हें सपना आया कि दुनिया भर के गुरुद्वारों में सद्भाव व एकजुटता के संदेश के साथ लंगर की प्रथा चलाई जाती है। इस पर एक किताब होनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने किताब लिखने का फैसला लिया। कपिल ने पांच साल की मेहनत के बाद यह किताब लिखी है।
कपिलदेव द्वारा लिखी गई पुस्तक का विमोचन करते कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब के राज्यपाल बीपी सिंह बदनौर और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह।
पंजाबी, मैं आधा सिख हो गया हूं
कपिलदेव ने बताया कि चंडीगढ़ में उनके एक दोस्त हैं किरपाल सिंह। उनको भी इस प्रोजेक्ट में साथ जोड़ा। दुबई से अजय सेठी ने भी मदद की। कपिल ने कहा, किरपाल सिंह का इसमें बहुत योगदान रहा। विमोचन के लिए इस दिन बड़ा दिन और क्या हो सकता था। सिख धर्म बहुत बड़ा है। इसे मानने वाले दो प्रतिशत लोगों का पूरी दुनिया पर प्रभाव है। मेरे कई दोस्त पंजाबी हैं। उनका रहन-सहन बहुत अच्छा लगता है।
कपिलदेव बाेले, मैं भी उनके साथ रह कर आधा सिख हो गया हूं। दुनिया में अगर कहीं आप को सिख मिल जाता है, तो वहां गुरुद्वारा साहिब भी मिल जाता है। यह कितना अच्छा धर्म है, जहां भी जाते हैं, चाहे अफ्रीका में हों या अमेरिका में वहां लंगर मिल जाता है।’
250 पन्नों की किताब में 130 फोटो
कपिल ने बताया कि यह 250 पन्नों की किताब है। इसमें 130 फोटो भी हैं। इस किताब में शामिल 40 गुरुद्वारे भारत के हैं। इसके अलावा पाकिस्तान व इराक के गुरुद्वारे भी हैं। राजनीति में आने के सवाल पर कपिल ने मुस्करा के कहा, ‘मुझे माफ करो जी।’ कपिलदेव इस पुस्तक को लेकर बेहद उत्साहित हैं। उनका कहना है कि उन्हें यह किताब लिख कर बेहद सुकून मिला है।