कराची में चीन के वाणिज्यिक दूतावास के पास आतंकी हमले में दो पुलिसकर्मियों समेत 7 लोग मारे गए. शुक्रवार (23 नवंबर) को हुए इस हमले में कई घरों में मातम छा गए, लेकिन एक महिला अफसर ने अपनी जान पर खेलकर कई लोगों की जान बचाई. सुहाई अजीज तालपुर पाकिस्तान की सिंध पुलिस में सहायक अधीक्षक हैं. उन्हीं की अगुवाई में सुरक्षाकर्मियों ने आतंकियों के इस हमले को नाकाम कर दिया. सुहाई की इस बहादुरी के बाद वो पाकिस्तान में ट्विटर पर ट्रेंड कर रही हैं. लोग उनकी तारीफ में ट्वीट कर रहे हैं. पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी ट्वीट कर उनकी प्रशंसा की है.
बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने ट्वीट कर लिखा है कि कराची में चीनी वाणिज्य दूतावास पर आतंकवादी हमले को हमारे सिंध पुलिस की साहसी एसएसपी सुहाई अजीज की अगुवाई में नाकाम कर दिया गया. मैं उन बहादुर अधिकारियों को सलाम करता हूं, जो साहसपूर्वक हमारे दोस्तों की रक्षा कर रहे थे. हम उनका सम्मान करते हैं.
आतंकियों के मंसूबो पर फेरा पानी
शुक्रवार को वरिष्ठ सुपरिंटेंडेंट पुलिस सुहाई अजीज की अगुआई में सुरक्षाकर्मियों ने आतंकियों के इस हमले को नाकाम कर दिया. महिला अफसर ने सुनिश्चित किया कि 9 हैंड-ग्रेनेडों, असॉल्ट राइफलों समेत बड़ी मात्रा में विस्फोटकों के साथ आए आतंकी वाणिज्य दूतावास की बिल्डिंग के भीतर डिप्लोमेटिक स्टाफ के करीब न पहुंच सकें. पुलिस ने बताया है कि आतंकियों के पास खाने के सामान और दवाइयां भी थीं, जिससे साफ है कि वे बंधक बनाने के इरादे से आए थे.
पिता के सपनों पर खरे उतरी बेटी
उनके पिता अजीज तालपुर एक राजनीतिक कार्यकर्ता और लेखक हैं, जो हमेशा अपनी बेटी के बारे में बड़ा सोचते थे. उन्होंने बताया, ‘मेरे रिश्तेदारों ने संबंध खत्म कर लिए क्योंकि मैं सुहाई को पढ़ाना चाहता था जबकि वे चाहते थे कि उसे सिर्फ धार्मिक तालीम दी जाए, हालांकि मैं अड़ा रहा कि अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाकर रहूंगा.’
साल 2013 में पास की थी सिविल परीक्षा
एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, सिंध प्रांत के प्रमुख मुराद अली ने कहा कि सुहाई अजीज, आपने बहादुरी का उदाहरण पेश किया है. सुहाई ने साल 2013 में सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज एग्जाम पास करने के बाद उन्होंने पुलिस फोर्स जॉइन की. रिपोर्ट के मुताबिक, वे लोअर सिंध की पहली महिला सहायक अधीक्षक हैं.
रिश्तेदारों के तानों से छोड़ दिया था गांव
सुहाई ने बताया कि जब मेरे माता-पिता ने स्कूल में दाखिला दिलाने का फैसला किया तो हमारे ज्यादातर रिश्तेदारों और परिचितों ने परिवार पर तंज कसना शुरू कर दिया. माहौल ऐसा हो गया कि मजबूर होकर मेरे परिवार को गांव छोड़ना पड़ा और पास के एक कस्बे में शिफ्ट होना पड़ा.
सोशल वैल्यू के लिए CSS में हुई शामिल
सुहाई ने एक प्राइवेट स्कूल से अपनी प्राइमरी शिक्षा पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए बहरिया फाउंडेशन जॉइन कर लिया. इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. सिंध के हैदराबाद में जुबैदा गर्ल्स कॉलेज से उन्होंने बी.कॉम किया. उन्होंने बताया कि मेरे घरवाले मुझे सीए बनाना चाहते थे, लेकिन मुझे यह काफी नीरस काम लगता था. क्योंकि इसकी सोशल वैल्यू नहीं है. इसलिए मैं सीएसएस में शामिल हुई और पहले ही प्रयास में पास हो गई.