महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) ने मराठा समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट सौंपने से पहले 43,629 परिवारों का सर्वेक्षण किया था. मराठा समुदाय राज्य में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है. राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री राजकुमार बडोले ने विधान परिषद के कांग्रेसी सदस्य शरद रैंपिस, विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे, राकंपा सदस्य हेमंत ताकले के सवाल पर विधान परिषद में यह जानकारी दी.
विपक्षी सदस्यों ने अपने सवाल में कहा था कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग वाले आंदोलन के हिंसक हो जाने पर पुलिस ने गोलीबारी की, जिसमें कई लोगों की जानें चली गईं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस वर्ष नौ अगस्त को बुलाए बंद के दौरान पुलिस ने मासूम लोगों के खिलाफ झूठे मामले भी दर्ज किए. उन्होंने कहा कि पार्टी के नेताओं ने ऐसे मामलों को वापस लिए जाने के लिए पुलिस आयुक्त से मुलाकात भी की थी.
इसके जवाब में बडोले ने कहा कि पुलिस ने उन जगहों पर कानून के अनुसार कार्रवाई की, जहां जुलाई-अगस्त2018 में मराठा आरक्षण के लिए किया गया आंदोलन हिंसा में बदल गया था. उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि एसबीसीसी ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपने से पहले 43,629 परिवारों का सर्वेक्षण किया था. बडोले ने कहा कि सरकार मारे गए प्रदर्शनकारियों के परिवार वालों को सहायता मुहैया करा रही है.
आयोग ने पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी , जिसके बाद मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने आरक्षण की मांग पूरी करने का संकेत भी दिया था. सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मराठा समुदाय के लोग सरकार और अर्द्ध सरकारी सेवाओं में कम प्रतिनिधित्व के साथ “सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के नागरिक” हैं.