इस्लामाबाद। पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की 2007 में हुए हत्या मामले में संदिग्ध भूमिका के लिए अलकायदा और तालिबान के पांच सदस्यों को जमानत दे दी गई है। बेनजीर भुट्टो जिन्होंने 1990 के दशक में दो बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पद पर अपनी सेवा दे चुकी हैं, उन्हें 2007 में रावलपिंडी में गोलियों और बम के हमलों में मार दिया गया था। वे उस दौरान ओपन कार में चुनावी दौरे पर थीं और रोड शो कर रही थीं, तभी उनकी हत्या कर दी गई।
बेनजीर की हत्या के बाद देश में राजनीतिक माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया थे और चारों तरफ हिंसा का माहौल पैदा हो गया था। तत्कालीन पाक सैन्य सरकार ने इस हत्या के लिए टीटीपी प्रमुख बैतुल्लाह महसूद को दोषी ठहराया था। लेकिन महसूद ने इन आरोपों से इनकार कर दिया था। हालांकि पुलिस ने अब्दुल राशिद, ऐतजाज शाह, रफाकत हुसैन, हुसनैन गुल और शैर जमान को गिरफ्तार कर लिया था और दावा किया था कि वे टीटीपी के सक्रिय सदस्य हैं, जिन्होंने भुट्टो की हत्या में अहम रोल निभाए थे।
रावलपिंडी के आतंक रोधी न्यायालय ने 31 अगस्त 2017 को अपने फैसले में इन पांचों को बरी कर दिया था, लेकिन उन्हें आतंकवादियों से लिंक होने के चलते पूरी तरह से आजाद नहीं किया गया था। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, लाहौर हाइकोर्ट के रावलपिंडी पीठ के दो जजों मिर्जा वकास और सरदार सरफराज ने कल उन्हें 500,000 रुपये के जुर्माने पर जमानत दे दी। न्यायिक पीठ ने इसके साथ ही अगली सुनवाई में उन पांचों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को नजर रखने का आदेश दिया।
अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि उन्हें कब रिहा किया जाएगा, क्योंकि उन्हें फिलहाल रावलपिंडी जेल से 28 नवंबर 2017 को ही लाहौर के कोट लखपत जेल में स्थानांतरित किया गया है। एक जेल अधिकारी ने बताया कि रिलीज ऑर्डर आज या कल तक मिल जाएगा। हालांकि प्रांतीय सरकार उनकी गिरफ्तारी की अवधि बढ़ा भी सकती है, क्योंकि पंजाब सरकार के पास ऐसा करने का कानूनी अधिकार है।