हरिद्वार : शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी ब्रह्म कुण्ड समेत तमाम घाटों पर गंगा में डुबकी लगा पुण्य लाभ अर्जित किया। तड़के से आरम्भ हुआ स्नान का सिलसिला अनवरत चलता रहा। स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिस पूरी तरह से अलर्ट दिखाई दी। सम्पूर्ण मेला क्षेत्र को आठ जोन एंव 32 सैक्टर में विभाजित किया गया था। एसएसपी श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल ने हरकी पैड़ी व अन्य घाटों पर पहुचंकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। कार्तिक पूर्णिमा पर इस बार दुर्लभ संयोग बना है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर 54 वर्षों बाद कर्तिका नक्षत्र है। जिसमें दान-पुण्य व स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन कृतिका नक्षत्र और ध्वज योग होने के कारण भारी मात्रा में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे। देश के विभिन्न प्रांतों से हजारों की संख्या में स्नानार्थी स्नान के लिए धर्मनगरी पहुंचे। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है। इस कारण भी इस पर्व पर स्नान का खासा महत्व है। पं. देवन्द्र शुक्ल शास्त्री के अनुसार आज के दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन गंगा व पवित्र नदी में स्नान करना, दीपदान, भगवान की पूजा, आरती, हवन और दान को काफी लाभदायी माना जाता है। स्नान के प्श्चात लोगों ने भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर दान-पुण्य आदि कर्म किए।
कार्तिक पूर्णिमा स्नान के कृतिका नक्षत्र में पड़ने की वजह से इस पर्व का महत्व और बढ़ गया। ऐसा संयोग कम ही बनता है जब स्वाति और कृतिका नक्षत्र के साथ ध्वज योग पड़े। इस साल के कार्तिक पूर्णिमा में महा कार्तिकी योग भी पड़ा। शास्त्रों में इस दिन को देव दीपावली भी कहा जाता है। आज के दिन दीपदान की भी मान्यता है। मान्यता है कि आज दान करने से निरोगी काया और सुख संपत्ति की प्राप्त होती है। भगवान श्रीहरि का मत्स्य अवतार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही हुआ था इसलिए इस दिन गंगा स्नान के बाद दीपदान करने का भी विशेष महत्व है। इसी के चलते कार्तिक पूर्णमा के दिन संध्याकाल में लोगों ने दीप दान किया।