नई दिल्ली. IPL-11 की फाइनल जंग चेन्नई सुपरकिंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच होगी. चेन्नई की ताकत उसकी बल्लेबाजी है तो वहीं सनराइजर्स हैदराबाद को फाइनल तक पहुंचाया है उसकी गेंदबाजी ने. यानी दूसरे लहजे में कहें तो फाइनल टक्कर दरअसल दो टीमों की बल्लेबाजी और गेंदबाजी के बीच की जोरदार जंग होगी.
फिर भी किसी न किसी टीम को तो हारना और जीतना है ही. इसे लेकर जब हमने दोनों टीमों को टटोला तो पता चला कि 2 ऐसे फैक्टर हैं जिसकी वजह से फाइनल में चेन्नई सुपरकिंग्स का पलड़ा सनराइजर्स पर भारी है. IPL की ऑरेंज आर्मी के खिलाफ धोनी की कप्तानी वाली व्हिशिल पोडू टीम का पलड़ा दमदार आंकने वाली वो 2 वजहें क्या है अब जरा वो भी जान लीजिए. इसकी पहली वजह है खुद सनराइजर्स हैदराबाद की टीम और दूसरी वजह हैं सनराइजर्स के कप्तान केन विलियम्सन. अब आप कहेंगे भला ये कैसे. तो हम आपको बताते हैं.
सनराइजर्स की कमजोर कड़ी नंबर 1
IPL में ये छठी बार हो रहा है जब फाइनल मुकाबला प्वाइंट्स टेबल में टॉप पर रहने वाली दो टीमों के बीच खेला जा रहा है. सनराइजर्स हैदराबाद लीग राउंड में प्वाइंट्स टैली में टॉप पर रही थी और IPL में दो टॉप टीमों के बीच खेले फाइनल मुकाबले में टॉप पर रहने वाली टीम को अब तक सिर्फ एक बार ही जीत मिली है जबकि 5 मौकों पर नंबर दो पर रहने वाली टीम के सिर पर खिताबी जीत का ताज सजा है. पिछले 6 मौकों में अब तक जो एक बार टीम प्वाइंट्स टैली में टॉप पर रहते हुए IPL फाइनल जीती है वो मुंबई इंडियंस है जिसने 2017 में ये खिताब राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स को हराकर जीता था.
सनराइजर्स की कमजोर कड़ी नंबर 2
केन विलियम्सन इस सीजन में ऑरेंज कैप जीतने के प्रबल दावेदार है. उनके नाम अब तक 16 मैचों में 688 रन दर्ज हैं और वो बाकी बल्लेबाजों के मुकाबले रनों की रेस में बहुत आगे हैं. अब जरा IPL का इतिहास भी देख लीजिए. IPL के पिछले 10 सीजन में सिर्फ एक बार ही ऐसा हुआ है जब जिस टीम के बल्लेबाज के पास ऑरेंज कैप गया है वो टीम चैम्पियन बनीं है. साल 2014 में कोलकाता के रोबिन उथप्पा ने ऑरेंज कैप जीती थी और केकेआर भी विजेता बनी थी. साफ है इन दो बड़ी वजहों को देखते हुए चेन्नई सुपरकिंग्स का पलड़ा भारी दिख रहा है और अगर हैदराबाद चैंपियन बनती है तो उसे इतिहास रचना होगा.