लांचर लेकर खुद दुश्मन की बंकर में घुस गए थे रामउग्रह पाण्डेय
23 नवम्बर को गाजीपुर में धूमधाम से मनायी जाती है शहादत दिवस
गाजीपुर : पाकिस्तान के साथ 1971 की लड़ाई में भारतीय जांबाजों ने अदम्य साहस दिखाते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिये थे। इस युद्ध में गाजीपुर के लांस नायक रामउग्रह पाण्डेय ने अदम्य वीरता के साथ दुश्मनों को जमींदोज करते खुद शहीद हो गये थे। आज 23 नवम्बर को गाजीपुर में उनकी शहादत दिवस को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। 1971 भारत—पाक युद्ध जिसमें ब्रिगेड ऑफ दि गार्ड 8वीं बटालियन के लगभग 100 जवान शहीद हुए थे। इस रात लड़ी गई लड़ाई को भारतीय आर्मी के इतिहास का सबसे कठिन परिस्थिति में लड़ने व फतह हासिल करने वाली युद्ध का दर्जा भी मिला है।
गौरतलब हो कि तत्कालीन पाकिस्तान पूर्वी मोर्चे पर भारतीय सेना के साथ युद्ध चल रहा था। इस दौरान वर्तमान में बांग्लादेश के बॉर्डर पर दलदली जमीन में भारतीय सेना की एक टुकड़ी लगभग फंसी गई थी। उच्चाधिकारियों द्वारा अपने जवानों की संख्या कम होने की बात कहकर हमला नहीं करने का आदेश जारी हुआ। लेकिन हौसला बुलंद जवानों ने अपने अधिकारियों को फ़तह का विश्वास दिलाते हुए दुश्मनों की बंकर पर धावा बोल दिया। इस जंग में लांस नायक रामउग्रह पाण्डेय ने अदम्य वीरता और साहस का परिचय देते हुए दुश्मन की 6 चौकियों को तबाह कर डाले थे, अंत में अपने को दुश्मन से घिरा देख उन्होंने खुद कंधे पर लांचर लेकर दुश्मनों की बंकर में घुस गए व लांचर के साथ खुद को दुश्मन के बंकर में उड़ा लिया। इस जंग में शहीद रामउग्रह पाण्डेय सहित तमाम जवानों को अपनी शहादत देनी पड़ी।
22/23 नवंबर 1971 की रात हुए इस जंग में 8 गार्ड बटालियन के लगभग 100 से अधिक जवान शहीद हुए। जिसमें से 3 लोगों को महावीर चक्र व अन्य को तमाम पदकों से सम्मानित किया गया, इन्हीं 3 महावीर चक्र विजेताओं में एक गाजीपुर जनपद के जखनियां तहसील अंतर्गत ऐमाबंसी गांव निवासी लांस नायक रामउग्रह पांडेय भी शामिल रहे जिन्हें उनके अदम्य वीरता और साहस के चलते मरणोपरांत सेना के दूसरे सर्वोच्च सम्मान महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति बीवी गिरी ने शहीद रामउग्रह पांडेय की धर्मपत्नी श्यामा देवी को यह पदक दिल्ली में एक समारोह में सौंपा। 23 नवम्बर को शहीद राम उग्रह पांडेय के पैतृक गांव ऐमावंशी में स्थित शहीद पार्क पर उनकी शहादत दिवस धूमधाम के साथ मनाई जाती है।