भावी पीढ़ी को ‘स्वच्छ वातावरण, शान्तिपूर्ण विश्व व्यवस्था एवं सुरक्षित भविष्य’ का अधिकार अवश्य मिलेगा -न्यायविदों की राय

डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने किया ‘सांस्कृतिक संध्या’ का उद्घाटन

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित हो रहे ‘19वें अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन’ के चौथे दिन सारगर्भित परिचर्चा के दौरान 71 देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों ने कहा कि भावी पीढ़ी को ‘स्वच्छ वातावरण, शान्तिपूर्ण विश्व व्यवस्था एवं सुरक्षित भविष्य’ का अधिकार अवश्य मिलेगा। हम भावी पीढ़ी के हित में सतत् प्रयत्नशील रहेंगे और एक ‘नवीन विश्व व्यवस्था’ बनाकर ही दम लेंगे। इससे पहले, मुख्य अतिथि के रूप में पधारे विधानसभा सदस्य एवं भारतीय जनता पार्टी, उ.प्र. के जनरल-सेक्रेटरी पंकज सिंह ने सम्मेलन के चौथे दिन का उद्घाटन किया जबकि समारोह की अध्यक्षता अफगानिस्तान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सैद यूसुफ हलीम ने की।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि पंकज सिंह, विधानसभा सदस्य एवं जनरल-सेक्रेटरी, भारतीय जनता पार्टी, उ.प्र., ने अपने संबोधन में कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य पूरे विश्व के बच्चों की भलाई है। एकता व शान्ति स्थापना के लिए सबसे जरूरी है कि मानव अधिकारों का पूरा सम्मान हो और हमारे संविधान खासकर अनुच्छेद 51 में यह बाकायदा सुनिश्चित किया गया है। अफगानिस्तान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सैद यूसुफ हलीम ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि ‘अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था’ लागू करना समय की मांग है क्योंकि इसी व्यवस्था के जरिए विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। ऐसे समय में जब विश्व के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की सुरक्षा, उम्मीदों व उनकी जिन्दगियों पर खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है, यह सम्मेलन विश्व के बच्चों की उम्मीदों पर खरे उतरने को प्रेरित करता है।

अपरान्हः सत्र में एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों का निचोड़ पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गाँधी, प्रख्यात शिक्षाविद् व संस्थापक, सी.एम.एस. ने बताया कि लगभग सभी मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाशीशों व कानूनविदों की आम राय रही कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(सी) विश्व की समस्याओं का एक मात्र समाधान है। भारतीय संविधान विश्व के अकेला ऐसा संविधान है जो पूरे विश्व को एकता के सूत्र में जोड़ने की बात कहता है। उन्होंने बताया कि सभी मुख्य न्यायाधीशों ने इस बात को माना कि वे मानवता की आवाज और बुलन्द कर सकते हैं परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय कानून तभी प्रभावशाली रूप से लागू किया जा सकता है जब राजनीति से जुड़े लोग भी हमारे साथ मिलकर एक विश्व संसद बनाने का समर्थन दें।

सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने 71 देशों से पधारे न्यायविदों, कानूनविदें व अन्य प्रख्यात हस्तियों के सम्मान में इन्दिरा गाँधी प्रतिष्ठान में ‘रात्रिभोज’ दिया। सम्मेलन के संयोजक, प्रख्यात शिक्षाविद् एवं सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश गाँधी ने भी  श्री दीक्षित के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में दीक्षित ने कहा कि विभिन्न देशों की प्रख्यात हस्तियों के लखनऊ आगमन से लखनऊ का नाम अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर सुशोभित हुआ है। मुझे विश्वास है कि इन न्यायविदों व कानूनविदों ने ‘एकता, शान्ति व सौहार्द’ की जो लौ यहाँ प्रज्वलित की है, उसका प्रकाश सारे विश्व में फैलेगा।

 इस अवसर पर न्यायविदों व कानूनविदों को शुभकामनाएं देते हुए उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि बच्चों के हित में आप द्वारा किया जा प्रयास अवश्य रंग लायेगा और निश्चित रूप से संसार के सभी बच्चों को एक दिन उनका मूलभूत अधिकार अवश्व उपलब्ध होगा। श्री मौर्य ने इस ऐतिहासिक सम्मेलन के आयोजन के लिए सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी की भूरि-भूरि प्रशसा की। श्री मौर्य ने कहा कि यह डा. गाँधी के ही प्रयास व परिश्रम का परिणाम है कि 71 देशों के न्यायविद् व कानूनविद् एक मंच पर एकत्रित हुए हैं।

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