जगदलपुर : ओडिशा से बहकर आने वाली बस्तर की जीवनदायनी इंद्रावती नदी में मात्र 35 फीसदी पानी ओडिशा से बहकर आ रहा है और शेष 65 फीसदी पानी ओडिशा के जोरा नाला में प्रवाहित हो रहा है। अभी बस्तर में शीत ऋतु की शुरूआत है और आने वाले दिनों में गर्मी का मौसम आयेगा, तब इंद्रावती में कितना पानी आयेगा यह कल्पना का विषय हो गया है। जानकारी के अनुसार मानसून सीजन से पहले ओडिशा क्षेत्र में इंद्रावती जोरा नाला संगम में कंट्रोल स्ट्रक्चर बनाया गया था। इसके बाद उम्मीद की गई थी कि समझौते के अनुसार 50-50 फीसदी पानी का दोनों राज्यों के मध्य बंटवारा होगा और बस्तर में आने वाली इंद्रावती की धारा में पर्याप्त पानी प्रवाहित होगा। कुछ माह तक यह सिलसिला तो चला, लेकिन डेढ़ से दो वर्ष पूर्व ओडिशा द्वारा बनाये गये कंट्रोल स्ट्रक्चर के डाउन स्ट्रीम में इंद्रावती नदी के तटबंध की पिचिंग उखड़ी अब इस स्ट्रीम में भारी मात्रा में रेत के भराव से बस्तर आने वाला इंद्रावती का प्रवाह अवरूद्ध हो गया और जोरा नाला में जाने वाला पानी बढ़ गया।
प्रदेश शासन ने इस संबंध में ओडिशा को कहा, लेकिन ओडिशा द्वारा आश्वासन देने के बाद भी इसे अभी तक सुधारा नहीं गया है और वह टाल-मटोल कर रहा है। इससे बस्तर में गर्मी के दिनों में पीने के पानी की बड़ी समस्या खड़ी हो जायेगी। ग्रीष्मकाल में बस्तर में इंद्रावती नदी में जलसंकट से निपटने के लिए समझौते के तहत बस्तर सीमा से पांच किलोमीटर दूर ओडिशा के कोटपाड़ तहसील के ग्राम सूतपदर में इंद्रावती-जोरा नाला संगम में दो पक्के कंट्रोल स्ट्रक्चर का निर्माण किया गया है। इसकी पूरी लागत राशि करीब 50 करोड़ छग सरकार ने दिए हैं। स्ट्रक्चर की मरम्मत के लिए भी राशि देने की पेशकस की गई है लेकिन ओडिशा से कोई जवाब नहीं मिल रहा है। विदित हो कि चीफ इंजीनियर महानदी परियोजना और सचिव जल संसाधन विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा ओडिशा सरकार को लगातार पत्र भेजा जा रहा है पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।