महाराष्ट्र के बाद अब मध्यप्रदेश भी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए सहमत हो गया है। पिछले दिनों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सबसे पहले पेट्रोल-डीजल की कीमत कम करने के लिए इस पर जीएसटी लगाने की वकालत की थी। इसके बाद अब मप्र भी इस विकल्प पर तैयार हो गया है। हालांकि इसके लिए सभी राज्यों की सहमति की जरूरत है।
नवदुनिया से बातचीत में वित्त एवं वाणिज्यकर मंत्री जयंत मलैया ने कहा कि जीएसटी काउंसिल में यदि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का प्रस्ताव आता है तो हम तैयार हैं। लेकिन, जीएसटी काउंसिल को ही यह काम करना है, राज्य अपनी सहमति दे सकता है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल-डीजल के दामों में रोजाना बढ़ोतरी हो रही है। इससे पूरे देश में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की बहस चल रही है।
सरकार के राजस्व पर आएगा संकट
पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी लगाने में सबसे बड़ी बाधा सरकार के राजस्व में आने वाली कमी है। अधिकारियों के मुताबिक यदि पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी लगता है तो केंद्र और राज्य सरकार के राजस्व में काफी कमी आ जाएगी। इसका हल खोजे बिना पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना मुश्किल है।
35 रुपए के पेट्रोल पर 41 रुपए टैक्स
पेट्रोल : 83 रुपए 49 पैसे प्रति लीटर कीमत। केंद्र सरकार 19.48 रुपए एक्साइज ड्यूटी लेती है। राज्य सरकार तीन तरह के टैक्स वसूलती है। 28 प्रतिशत वैट, एक प्रतिशत सैस और 4 रुपए प्रति लीटर एडिशनल टैक्स। लगभग कुल 21 रुपए 50 पैसे प्रति लीटर। इस तरह दोनों सरकारें 41 रुपए 69 पैसे एक लीटर पेट्रोल से टैक्स वसूलती हैं।
40 रुपए के डीजल पर 32 रुपए टैक्स
डीजल : 72 रुपए 40 पैसे प्रति लीटर डीजल। केंद्र 15.33 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लेता है। मप्र 22 प्रतिशत वैट और एक प्रतिशत सेस के साथ 15 रुपए 97 पैसे टैक्स लेती है। दोनों सरकार लगभग 31 रुपए 98 पैसे टैक्स वसूलती हैं।
यदि जीएसटी लागू कर दें तो…
पेट्रोल-डीजल को यदि जीएसटी के दायरे में ले आएं तो ईंधन की कीमत में भारी कटौती हो सकती है। जीएसटी की अधिकतम दर 28 प्रतिशत है। यदि पेट्रोल-डीजल पर 28 प्रतिशत टैक्स लगाया जाए तो पेट्रोल-डीजल की कीमत 50 रुपए के आसपास आ जाएगी।