लखनऊ : आख़िर 25 नवम्बर को होने वाली शंखनाद रैली का क्या उद्देश्य है? ये सवाल अयोध्या में 20 नवम्बर को होने वाली संगोष्ठी में अयोध्या का प्रबुद्धवर्ग पूछेगा। यह गोष्ठी फ़ोर्ब्स इंटर कॉलेज के प्रांगण में प्रातः 11 बजे प्रस्तावित है। श्री श्री रविशंकर के अनुयायी पूर्व आईएएस/पूर्व आयुक्त फ़ैज़ाबाद डॉ. सूर्य प्रताप सिंह की अगुवाई में अयोध्या जनमानस पूछेगा। श्री श्री प्रतिनिधि श्री गौतम बिज़ भी इस सर्वधर्म-गोष्ठी में भाग रहे हैं। क्या अयोध्या को फिर धधकाने की योजना बन रही है? क्या चुनावी राजनीति ने ज्वालामुखी के मुहाने पर फिर से लाकर खड़ा कर दिया, राम की नगरी को? अयोध्या पर 25 नवम्बर को 2-2.5 लाख कारसेवकों का धावा बोला जायेगा। अयोध्या में वी॰एच॰पी॰ की शंखनाद रैली का आख़िर उद्देश्य क्या है? यदि यह रैली केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ है तो दिल्ली में करो। यदि यह विरोध प्रदेश सरकार के विरुद्ध है तो लखनऊ में करो। यदि यह सप्रीम कोर्ट के विरुद्ध है तो सप्रीम कोर्ट के सामने करो। क्या सुप्रीम के सामने शंखनाद करने से कोर्ट की अवमानना का भय है?
अयोध्या में इतनी भीड़ को खपाने का रिक्त स्थान नहीं है। इस रैली में हर विधायक व सांसद को भीड़ जुटाने का लक्ष्य दिया गया है। एकत्र होने वाले लोगों को कारसेवक़ों के रूप में बुलाया गया है। जैसा ‘कारसेवक’ शब्द से ज्ञात होता है कि वे कारसेवा करने आ रहे हैं। जब 1992 में विवादित ढाँचा गिराया गया था, तब भी कारसेवक के रूप में ही लोग बुलाए गए थे। क्या अबकि बार भी ऐसी ही कारसेवा होगी? क्या इस बार भी कोई और हिंदू धर्म को जगाने के नाम पर कोई मज़हबी इमारत गिरायी जाएगी या फिर क्या कारसेवकपुरम में तराशे गए पत्थरों को रामजन्मभूमि के मुहाने/प्रांगण में डम्प करने का प्लान है? या फिर अयोध्या/ फ़ैज़ाबाद से दूसरे धर्म के लोगों को मारकर भागने का प्लान है? आज अयोध्या व अयोध्यावासियों के मन में फिर से ऐसे सवाल गूँज रहे हैं। क्या वोट के लिए लोगों के मध्य द्वेष फैलाने की इतनी मजबूरी है कि भीड़ एकत्र कर भावनाओँ को भड़काकर भीड़ को इतना मजबूर कर दिया जाए कि वहाँ गोली चले, निर्दोष लोग मरें। क्या वोट के लिए इस देश को जलाने की फिर शज़िश हो रही है?
इतनी भीड़ जुटाने का कुछ तो उद्देश्य होगा ही। जब दोनों जगह आपकी सरकारें हैं तो यह शंखनाद किस की विरुद्ध? यह एक छोटा सा प्रश्न हर विवेकशील अयोध्या परिछेत्र के लोगों के मस्तिष्क में कौंध रहा है। कोई भी विरोधी पार्टी इसका विरोध क्यों नहीं कर रही? वोट की ख़ातिर वे सब भी चुप हैं, तो जनमानस की बात कौन सुने और कौन उठाए? युवा को भी धर्म नाम पर भ्रमित किया जा रहा है। रोज़ी-रोटी की बात कोई नहीं कर रहा, शायद इस सबसे वोट नहीं मिलती अतः चुनाव के समय फिर वही मंदिर-मस्जिद के नाम पर मूर्ख बनाना ही एक मात्र विकल्प बचता है। जब विकास नहीं हो पा रहा तो ‘विकास की नहीं इतिहास की बात’ करो का नारा दिया जा रहा है। चुनाव में ये ही नारे/ जुमले/झूँठे स्वप्न आदि कारगर हथियार होते है। लोग हैं कि समझने के लिए तैयार ही नहीं।
इन्हीं सब को देखते हुए, हमने सभी विवेकशील लोगों को 20 नवम्बर को अयोध्या बुलाया है ताकि शंखनाद रैली के बाज़ीगरों से कुछ सवाल पूछे जा सके? ताकि प्रत्येक चुनाव पूर्व इस प्रकार के आयोजनों के पीछे छुपे ‘छलावों’ से लोगों को आगाह किया जा सके। लोगों को बताया जा सके कि इन प्रकार के आयोजनों का उद्देश्य राममंदिर नहीं अपितु वोट की राजनीति हैं। 20 नवम्बर को अयोध्या गोष्ठी में युवा के रोज़गार की बात/वादों को याद दिलायी जाएगी। किसान मजदूर को दिखाए गए दिव्यस्वप्नों की बात करेंगें ताकि जनहित के असली मुद्दों से सत्ताधीश ध्यान न भटका सकें।