देश की सबसे आधुनिक बिना इंजन वाली ट्रेन-18 (Train-18) शुक्रवार को दिल्ली से मुरादाबाद पहुंच गई. ट्रेन को मुरादाबाद यार्ड में खड़ा किया गया है. ट्रेन के मुरादाबाद पहुंचते ही उसे देखने वालों की भीड़ जुट गई. ट्रेन की सुरक्षा के लिए आरपीएफ जवानों की तैनाती की गई है. ट्रेन को रविवार सुबह पहले ट्रायल के लिए रवाना किया जाएगा. इसके लिए आरडीएसओ की टीम मुरादाबाद पहुंच गई है. तकनीकी परीक्षण के बाद ट्रेन को ट्रैक पर उतारा जाएगा. डीआरएम अजय कुमार सिंघल ने बताया कि ट्रायल की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
100 किलोमीटर के ट्रैक पर होगा ट्रायल
मेक इन इंडिया के तहत बनाई गई ट्रेन-18 का देश के अलग-अलग हिस्सों में ट्रायल होगा. बिना इंजन वाली ट्रेन का पहला ट्रायल मुरादाबाद से सहारनपुर के बीच पहले से चिन्हित करीब 100 किलोमीटर के ट्रैक पर होगा. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि टी-18 में यात्रियों की जगह पर रेत भरी बोरियां रख कर ट्रायल किया जाएगा. इस रूट पर यह जांचा जाएगा कि T-18 तेज गति पर किस तरह प्रतिक्रिया करती है. वहीं 160 की गति पर इस गाड़ी में ब्रेक लगाने पर यह गाड़ी कितनी दूरी पर रुकती है.
ट्रायल सफल होने पर शताब्दी की जगह चलेगी ट्रेन
रेलवे अधिकारियों के अनुसार सभी तकनीकी पहलुओं की जांच के बाद ही इस गाड़ी को कमिश्नर रेलवे सेफ्टी से अनुमति के लिए भेजा जाएगा. ट्रायल सफल रहता है तो टी-18 को शताब्दी की जगह पर चलाया जाएगा. टी-18 ट्रेन 16 डिब्बों की हैं, हर 4 डिब्बे एक सेट में हैं. ट्रेन सैट होने के कारण इस गाड़ी के दोनों ओर इंजन हैं. इंजन भी मेट्रो की तरह छोटे से हिस्से में है. ऐसे में इंजन के साथ ही बचे हिस्से में 44 यात्रियों के बैठने की जगह है.
मशीनें लगाकर ट्रेन की तकनीकी जांच होगी
इससे पहले ट्रेन को गुरुवार देर रात डेढ़ बजे दिल्ली से मुरादाबाद रवाना किया गया था. ट्रेन को इलेक्ट्रिक इंजन और डीजल इंजन से खींचकर मुरादाबाद तक लाया गया. ट्रेन के पीछे एक कोच जोड़ा गया था, जिसमें रेलवे स्टाफ और कंपनी स्टाफ था. आरडीएसओ लखनऊ की टीम ट्रेन में मशीनें लगाकर तकनीकी जांच करेगी. जांच के बाद ही ट्रेन को ट्रायल के लिए दौड़ाया जाएगा. ट्रेन में आपात स्थिति में ड्राइवर से बात करने के लिए टॉक बैक सिस्टम लगा है.
आठ दिन चलेगा ट्रायल
ट्रेन 18 का मुरादाबाद मंडल में 8 दिन तक ट्रायल किया जाएगा. रविवार से शुरू होने वाला ट्रायल मुरादाबाद से सहारनपुर और मुरादाबाद से बरेली, मुरादाबाद से गाजियाबाद के बीच इस ट्रेन का ट्रायल किया जाएगा. ट्रेन पहले 30, 60, 90 और 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाई जाएगी. इसके बाद ट्रेन में यात्रियों के वजन के बराबर रेल लादकर ट्रायल किया जाएगा.
यात्री 360 डिग्री पर कुर्सियां मोड़ सकेंगे
ट्रेन की एग्जिक्यूटिव श्रेणी की बोगी में यात्री 360 डिग्री के कोण में अपनी कुर्सियां मोड़ सकेंगे. 16 कोच वाली ट्रेन 18 में दो एग्जीक्यूटिव श्रेणी की बोगियां हैं. टी-18 का दूसरा परीक्षण दिल्ली-मथुरा रूट पर होगा. ट्रेन की खास बात यह है कि इसमें आपको दूसरी ट्रेनों की तरह इंजन दिखाई नहीं देगा. जिस पहले कोच में ड्राइविंग सिस्टम लगाया गया है, उसमें 44 सीटें दी गई हैं. वहीं ट्रेन के बीच में लगे दो एग्जीक्यूटिव कोच में 52 सीटें होंगी. अन्य कोच में 78 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था की गई है.
दिव्यांगों के लिए विशेष बाथरूम
ट्रेन के कोच में दिव्यांगों के लिए विशेष रूप से दो बाथरूम और बेबी केयर के लिए विशेष स्थान दिया गया है. हर कोच में सुरक्षा के लिहाज से छह सीसीटीवी कैमरा हैं. ड्राइवर के कोच में एक सीसीटीवी इंस्टॉल किया गया है, जहां से यात्रियों पर नजर रखी जा सकती है. ट्रेन में टॉक बैक की भी सुविधा दी गई है, यानी आपात स्थिति में यात्री ड्राइवर से बात भी कर सकते हैं. इसी तरह की सुविधा मेट्रो में भी दी जाती है.
दो इमरजेंसी स्विच लगाए गए
ट्रेन-18 में दो इमरजेंसी स्विच लगाए गए हैं. आपात स्थिति में इसे दबाकर मदद ली जा सकती है. ट्रेन में यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए हर छोटी-बड़ी सुविधाओं का ध्यान रखा गया है. ट्रेन आगे व पीछे किसी भी दिशा में चल सकती है. सामान्य गाड़ियां एक ही दिशा में चलती हैं. इन गाड़ियों को दूसरी तरफ इंजन लगा कर मोड़ना पड़ता है जिसमें समय और पैसे दोनों खर्च होते हैं.