लखनऊ। भारतेन्दु नाट्य अकादमी गोमती नगर का थ्रस्ट प्रेक्षागृह शुक्रवार को सायं 6.30 बजे मार्डन और कन्टेम्पोररी डान्स की नयी परिभाषा और बुलन्दियों का गवाह बना। याहोवा एकेडमी फॉर परफार्मिंग आर्ट्स के फर्स्ट बैच के प्रशिक्षित डान्सर्स के उपाधि अलंकरण का अवसर था जिसमें वरिष्ठ रंगकर्मी, फिल्म अभिनेता और लखनऊ के कलाकारों के प्रेरणाश्रोत डॉ0 अनिल रस्तोगी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। विशेष बात डॉ0 रस्तोगी पुनीत मित्तल की ‘ज़रा याद करो कुर्बानी’, ‘प्रेम ना हाट बिकाय’ और ‘इनर’ जैसी प्रस्तुतियों के प्रशंसक रहे हैं। डॉ0 रस्तोगी के कर कमलों से प्रमाण पत्र प्राप्त करके आकाश राजपूत पिंकी पाण्डेय हर्ष मिश्रा, सुनीता तिवारी, आंशी मिश्रा, शशांक शुक्ला (सीनियर एडवोकेट), ईशा रतन, मिशा रतन के चेहरे खिल उठे।
अलंकरण समारोह के अतिरिक्त सभी प्रतिभागियों ने ‘इम्पल्स’ नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। जहां ईशा रतन, मिशा रतन ने तितलियों की लाइफ स्टाइल को दर्शाया, वहीं हर्ष मिश्रा, आकाश राजपूत ने मृत्यु और जन्म थीम पर दर्शकों को भावुक कर दिया। सुनीता तिवारी और आंशी मिश्रा ने महिषासुर मर्दनी कन्टम्प्रेररी स्टाइल में प्रस्तुत कर शास्त्रीय और मार्डन नृत्य फ्यूजन की अद्भुत मिसाल प्रस्तुत की। नृत्य नाटिका की खास बात यह रही और जो कि पुनीत मित्तल की रचनाओं की विशेषता भी है कि ज्यादातर इन्स्ट्रमेन्टल संगीत का प्रयोग किया गया। ‘इम्पल्स’ में नृत्य की पारस्परिक और आधुनिक विधाओं का समावेश किया। सम्पूर्ण नृत्य नाटिकाओं में टेरेन्स लुईस, रिमो डिसूजा और श्यामक डावर जिनसे पुनीत ने शिक्षा प्राप्त की है का प्रभाव साफ-साफ दिखाई दिया।
कार्यक्रम के होस्ट ई0 जीतीश श्रीवास्तव का प्रभावी संचालन दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गया। वर्ष 2018 के बैच के प्रतिभागी भी किसी से कम नहीं थे मैं नचदी फिरा गीत पर श्रेया, कनक और राव्या ने दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। रिसर्च स्कालर छवि मिश्रा का शोध एवं आलेख छवि के लेखन में अपार सम्भावनायें दर्शाता है। वरिष्ठ रंगकर्मी उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी सम्मान से सम्मानित प्रकाश परिकल्पक मो0 हफीज़ बेमिसाल हैं यह उन्होंने ‘इम्पल्स’ में एक बार फिर साबित किया। आदर्श विश्वेन का संगीत संचालक उत्तम रहा। स्मृति और आकाश राजपूत की वेशभूषा और जितेन्द्र मित्तल की प्रस्तुत ‘इम्पल्स’ याहोवा एकेडमी की शान बढ़ाती नज़र आयी।