नेपाल : स्कूल शिक्षा विधेयक के समर्थन में शिक्षकों का प्रदर्शन जारी

काठमांडू। नेपाल शिक्षक संघ ने रविवार को काठमांडू में प्रदर्शन किया। वे स्कूल शिक्षा विधेयक को मंजूरी देने की मांग कर रहे हैं।

नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली और प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष देवराज घिमिरे के हालिया आश्वासन के बाद भी शिक्षक संघ ने अपना विरोध जारी रखने का फैसला किया।

प्रमुख नेपाली दैनिक काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल सरकार ने हाल ही में प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों की मांगों पर विचार करने पर सहमति जताई। इसी मुद्दे पर सरकार ने 25 अप्रैल को संसद का सत्र भी बुलाया, जिसमें स्कूल शिक्षा विधेयक पारित किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ओली ने शुक्रवार को काठमांडू में चल रहे शिक्षक आंदोलन का हल निकालने के लिए नेपाली शिक्षक परिसंघ (सीएनटी) के नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने शिक्षक नेताओं से आंदोलन खत्म करने की अपील की और भरोसा दिलाया कि सरकार उनकी मांगें पूरी करने की पूरी कोशिश करेगी।

बैठक में शामिल एक व्यक्ति ने बताया कि प्रधानमंत्री ओली ने कहा, विधेयक पर चर्चा करने के लिए संसद का सत्र तय समय से पहले बुलाया गया है। लेकिन मैं यह नहीं कह सकता कि यह कब पास होगा, क्योंकि इसका फैसला संसद ही करती है।

शुक्रवार शाम को स्पीकर घिमिरे ने भी शिक्षकों से मुलाकात की और भरोसा दिलाया कि वे इस विधेयक को जल्दी संसद में वोटिंग के लिए रखने को तैयार हैं।

महासंघ की सह-अध्यक्ष और संघर्ष समिति की संयोजक नानू माया परजुली ने कहा, अध्यक्ष ने हमें बताया कि विधेयक संसद में पेश होने के अगले ही दिन वह उस पर वोटिंग कराने को तैयार हैं।

परजुली ने कहा, प्रधानमंत्री और स्पीकर से हुई बैठकों का माहौल अच्छा था, लेकिन हमने रविवार को प्रतीकात्मक विरोध जारी रखने का फैसला किया है। हम रविवार को बैठकर तय करेंगे कि आगे क्या करना है।

शनिवार दोपहर को हजारों शिक्षकों ने पहले की तरह अपना आंदोलन जारी रखा और तय किया कि रविवार को भी कुछ घंटों तक विरोध प्रदर्शन करेंगे।

परजुली ने कहा, हमारा विरोध सरकार के खिलाफ नहीं है, हम सिर्फ नए कानून के लिए अपनी मांग रख रहे हैं।

इसके अलावा, शिक्षकों ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने प्रधानमंत्री और मंत्रियों को गलत जानकारी दी, जिसकी वजह से उनकी मांगों पर ध्यान देने में देरी हुई।

महासंघ के एक पदाधिकारी ने कहा, अधिकारियों ने गलत जानकारी दी है कि हमारी मांगें पूरी करने में 200 अरब रुपये लगेंगे, जबकि सच यह है कि इसकी लागत 13 अरब रुपये से ज्यादा नहीं होगी। अगर सब लोग ईमानदारी से काम करें, तो ये समस्या एक ही रात में सुलझ सकती है।

रिपोर्टों के मुताबिक, 2 अप्रैल से काठमांडू के मैतीघर-नया बानेश्वर इलाके में चल रहे शिक्षकों के प्रदर्शन और धरने की वजह से देशभर में नामांकन अभियान पर बुरा असर पड़ा है। साथ ही, हाल ही में हुई माध्यमिक शिक्षा परीक्षा (एसईई) की कॉपियों की जांच जैसे जरूरी शैक्षणिक कामों में भी देरी हो रही है।

शिक्षकों ने नेपाल में 15 अप्रैल से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक वर्ष के लिए छात्र नामांकन शुरू करने के सरकार के आदेश की अनदेखी की।

इस सप्ताह की शुरुआत में नेपाल के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने चल रहे विरोध पर गहरी चिंता जताई और सभी पक्षों से बातचीत के जरिए मामले को सुलझाने की अपील की।

 

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