जिसके लिए शनिवार (19 अप्रैल) को हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और ट्रंप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इस दौरान लोगों ने तमाम रैलियां और मार्च निकाले. जिमसें राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों का विरोध साफ देखने को मिला. हालांकि, वॉशिंगटन, न्यूयॉर्क और शिकागो जैसे शहरों में पिछली बार 5 अप्रैल को हुए प्रदर्शनों के मुकाबले कम भीड़ देखने को मिली.
400 रैलियों की बनाई गई योजना
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देशभर में करीब 400 से ज्यादा रैलियों की योजना बनाई गई है. ये रैलियां जैक्सनविल (फ्लोरिडा) से लेकर लॉस एंजिल्स तक निकाली जाएंगी. प्रदर्शनकारी संघीय नौकरियों में कटौती, आर्थिक नीतियों और नागरिक स्वतंत्रताओं के उल्लंघन को लेकर अपनी नाराजगी जता रहे हैं.
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि राष्ट्रपति ट्रंप कानून के शासन को कमजोर कर रहे हैं और आम नागरिकों के अधिकारों को दबा रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि, ट्रंप के 20 जनवरी को राष्ट्रपति बनने के बाद इस ग्रुप का यह चौथा बड़ा प्रदर्शन है. इससे पहले 17 फरवरी को ‘नौ किंग्स डे’ में विरोध प्रदर्शन किया गया था. ये प्रदर्शन तब और उग्र हो गया जब ट्रंप ने सोशल मीडिया पर खुद को किंग कह दिया था.
क्या मांग कर रहे प्रदर्शनकारी
दरअसल, प्रदर्शनकारी ट्रंप सरकार के तानाशाही जैसे रवैये से देश के लोकतंत्र को बचाना चाहते हैं. इस समूह की प्रवक्ता हीदर डन का कहना है कि यह शांतिपूर्ण आंदोलन है और किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं है. उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शन का मकसद देश को जोड़ना और संविधान की रक्षा करना है. डन ने कहा कि इस आंदोलन में अलग-अलग सोच वाले लोग जैसे डेमोक्रेट, इंडिपेंडेंट और रिपब्लिकन भी शामिल हो रहे हैं. सब यही चाहते हैं कि एक ईमानदार सरकार हो जो लोगों की भलाई को सबसे पहले रखे.
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं लोग?
अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों की कई वजह सामने आई हैं. इनमें ट्रंप की टैरिफ नीति भी शामिल है. जिसने अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव डाला है. शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली है. साथ ही बेरोजगारी भी बढ़ी है. इसके अलावा सरकारी नौकरियों में छंटनी, मानवाधिकारों पर सवाल और अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी जैसे कई मुद्दे शामिल हैं.