भारत में हर त्योहार की अपनी अलग मान्यताएं होती हैं. भारत में आज भी कुछ मंदिर ऐसे हैं. जिसमें महिलाओं को जाना अलाउड नहीं होता है तो कुछ मंदिर में पुरुष सज-धज कर पूजा करते हैं.
चमैविलक्कू उत्सव केरल
कोल्लम ज़िले के चवारा में स्थित कोट्टनकुलंगरा श्री देवी मंदिर में मनाया जाने वाला चमैविलक्कू उत्सव केरल का एक अनोखा और फेमस त्योहार है. यह त्योहार हर साल मार्च के महीने में 10 से 12 दिनों तक चलता है. इसके आखिरी दिन, पुरुष पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ महिलाओं की तरह कपड़े पहनते हैं. मंदिर के आसपास 5 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले पुरुष इस परंपरा का विशेष रूप से पालन करते हैं. वहीं दूर से भी कई लोग इस मंदिर में आते हैं.
देवी को प्रसन्न करने के लिए
कहा जाता है कि पहले कुछ ग्वाले एक पत्थर को देवी मानकर उसकी पूजा करते थे और लड़कियों की तरह सजकर उसके आसपास खेलते थे. एक दिन अचानक उस पत्थर से देवी प्रकट हुईं. यह चमत्कारिक घटना पूरे गांव में फैल गई और फिर वहां मंदिर की स्थापना हुई. तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि पुरुष देवी को प्रसन्न करने के लिए महिलाओं की तरह सजते हैं.
परंपरा
इसके अलावा इस परंपरा के पीछे कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं. एक कथा के अनुसार, एक बार भद्रकाली ने एक राक्षस का वध किया था. इस युद्ध में देवी भद्रकाली का रूप इतना भयानक हो गया था कि देवता भी उन्हें पहचान नहीं पाए, तब देवी ने अपने रूप को बदलने के लिए 16 श्रृंगार किया था. बता दें यह परंपरा केरल की संस्कृति का एक खास हिस्सा है. यह परंपरा स्थानीय लोगों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है.
जाने के लिए बेस्ट महीना
पुरुष अपनी मूंछ-दाढ़ी साफ करवा कर, चेहरे पर मेकअप करके, सुंदर रंग-बिरंगे साड़ी पहन कर देवी की पूजा करते हैं. मान्यता है कि पुरुष मनोकामना पूरी करने, पापों से मुक्ति पाने या फिर कर्ज से छुटकारा पाने के लिए करते हैं. अगर आप इस मंदिर में जाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे अच्छा टाइम मार्च का महीना है.
ब्यूटी पार्लर भी लगाए जाते हैं
इसका आयोजन रात 2 बजे से सुबह 5 बजे के बीच होता है. इस दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. मंदिर के बाहर पुरुषों के सजने के लिए मंदिर के पास अस्थायी ब्यूटी पार्लर भी लगाए जाते हैं. हर साल हज़ारों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं के साथ इस मंदिर में आते हैं. कोई अपने कर्ज से मुक्ति पाता है, तो कोई अपने पापों की माफी मांगने आता है. यही वजह है कि हर साल यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है.