सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सम्मान के लिए आभार जताते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में उमड़ी जनता से जाहिर है कि जनता ने इस साहसिक फैसले पर अपना भरोसा जता दिया है। यह सम्मान सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि उस विचारधारा को था, जिसने वर्षों से भारतीय समाज में न्याय और समानता की आवाज बुलंद की है।
मुख्यमंत्री धामी ने भारत रत्न बाबा साहेब को एक युगदृष्टा बताते कहा कि अंबेडकर इस बात में विश्वास रखते थे कि जब तक देश के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार प्राप्त नहीं होते, तब तक समाज में सच्ची समानता संभव नहीं है। यही सोच थी, जिसने उन्हें समान नागरिक संहिता जैसी क्रांतिकारी अवधारणा को संविधान में स्थान देने के लिए प्रेरित किया। उत्तराखंड सरकार ने सिर्फ एक कानून नहीं लागू किया, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि वर्षों तक बाबा साहेब की उपेक्षा की गई, उनके विचारों को हाशिए पर रखा गया, जबकि आज का भारत उनके सपनों को अपनाने की ओर अग्रसर है। यह नया भारत है, जो न सिर्फ अपनी विरासत को सम्मान देता है, बल्कि साहसिक निर्णय लेकर नए मानदंड भी स्थापित करता है। हरिद्वार में उमड़ी यह भीड़ केवल उपस्थित लोगों का जमावड़ा नहीं है, यह एक जनआवाज है, जो कह रही है कि मुख्यमंत्री धामी के फैसलों पर जनता को भरोसा है और अब यह गूंज उत्तराखंड से निकलकर पूरे देश में सुनाई दे रही है।
उन्होंने विशेष तौर पर जिक्र किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और हमारी दृढ़ इच्छाशक्ति ने मिलकर यह ऐतिहासिक निर्णय संभव किया है। उत्तराखंड आज एक बार फिर देश को दिशा दिखा रहा है, जहां समानता अब सिर्फ किताबों में नहीं, बल्कि कानून की शक्ल में जमीन पर उतर चुकी है। यह सिर्फ एक कानून लागू करने की बात नहीं, यह एक नए भारत की ओर बढ़ाया गया निर्णायक कदम है।
उन्होंने आने वाली पीढ़ी को अनुसूचित समाज का उद्धार करने वाले समाजसेवकों के जीवन चरित्र और इतिहास के साथ-साथ भारतीय संविधान के बारे में जानकारी देने के लिए हरिद्वार में बाबा साहेब समरसता स्थल का निर्माण किए जाने की बात कही। इसके साथ ही विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में विशेष जन-जागरूकता कार्यक्रम अनुसूचित जाति आयोग के माध्यम से आयोजित किए जाने की घोषणा भी की।