हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है.
: हनुमान जी की पूजा के लिए चैत्र पूर्णिमा का दिन शुभ माना जाता है. इस दिन हर साल हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है, जो कि इस बार 12 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा. इस वर्ष हनुमान जयंती पर कई शुभ और विशेष संयोग भी बन रहे हैं. वहीं, इस बार बाबा की जन्मोत्सव पर शनिवार है. जो कि बेहद शुभ योग माना जा रहा है. इस दिन जो भक्त पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान जी, भगवान श्री राम और माता सीता की आराधना करता है. उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है और उसको सभी कष्टों से भी मुक्ति मिलती है. आइए आपको बताते है इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, महत्व और उपाय
पूजा का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुब 04:29 से 05:14 तक
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:56 से 12:48 तक
शुभ-उत्तम: सुबह 07:36 से 9:10 तक
लाभ-उन्नति: दोपहर 1:58 से 3:34 तक
अमृत-सर्वोत्तम: दोपहर 3:34 से शाम 5:09 तक
पूजा की विधि
मान्यताओं के अनुसार, हनुमान का जन्म सूर्योदय के टाइम पर हुआ था. इस दिन आप सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल रंग के साफ सुथरे कपड़े पहनें. आप बाबा को सिंदूर, लाल रंग के फूल, तुलसी दल, चोला और बूंदी के लड्डू का प्रसाद अर्पित करें. इसके बाद घी का दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें. इसके बाद आरती करें और व्रत रखने का संकल्प लें. हनुमान जी के साथ-साथ प्रभु श्री राम और माता सीता की भी उपासना करें. अंत में क्षमा प्रार्थना करें.
महत्व
हिंदू धर्म में हनुमान जी को 8 चिरंजीवियों में से एक माना जाता है. कहते हैं वह आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, हनुमान जयंती के दिन विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे उसके जीवन के सभी कष्ट और संकट दूर होते हैं. इस दिन पूजा में उन्हें फूल, माला, सिंदूर चढ़ाने के साथ बूंदी या बेसन के लड्डू, तुलसी दल अर्पित करने से वह प्रसन्न होते हैं.
57 साल बाद पंचग्रही योग
हनुमान जन्मोत्सव पर इस साल पंचग्रही योग का संयोग बन रहा है. 12 अप्रैल को हस्त नक्षत्र में मीन राशि में सूर्य, शनि, शुक्र, बुध और राहु एक साथ रहेंगे.
उपाय
इस दिन भक्त हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ करेंच. साथ ही हनुमान जी को चमेली का तेल, सिंदूर और चोला चढ़ाएं.
भोग
गुड़-चना, बूंदी, बेसन या मोतीचूर के लड्डू, केला, सूखे मेवे, पंचामृत
मंत्र
ऊं हं हनुमते नम:
ऊं हं पवन नन्दनाय स्वाहा
ऊं नमो भगवते हनुमते नम:
ऊं हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट
ॐ नमो भगवते पंचवदनाय पूर्वकपिमुखाय ठं ठं ठं ठं ठं सकल शत्रु संहारणाय स्वाहा ||
अंजनी गर्भ संभूताय कपीन्द्र सचिवोत्तम रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमान रक्ष रक्ष सर्वदा
जल खोलूं जल हल खोलूं खोलूं बंज व्यापार
आवे धन अपार। फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा हनुमत वचन जुग जुग सांचा।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता