म्यांमार से छुड़ाए गए ठगी के शिकार 32 भारतीय

 शाश्वत तिवारी। म्यांमार में फंसे उन 32 भारतीय नागरिकों को छुड़ाकर भारत वापस लाया गया है, जिन्हें आकर्षक नौकरियों का लालच देकर साइबर अपराध करने के लिए मजबूर किया गया था। इसके साथ ही म्यांमार स्थित भारतीय दूतावास ने एक बार फिर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में आकर्षक दिखने वाले जॉब ऑफर्स के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है।
भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय की प्रयासों से पिछले कई महीनों के दौरान म्यांमार और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में ऑनलाइन धोखाधड़ी सेंटर्स के चंगुल में फंसे काफी भारतीयों को रिहा कराया गया है। अक्सर असत्यापित भर्ती एजेंसियों या अनधिकृत एजेंटों के माध्यम से आकर्षक नौकरी के प्रस्ताव विज्ञापित किए जाते हैं, जो व्यक्तियों को विदेश में उच्च वेतन वाली नौकरियों का वादा करके लुभाते हैं। हालांकि, एक बार उनके पास पहुंचने के बाद लोग अपने आपको ठगा हुआ महसूस करते हैं, क्योंकि उन्हें ऑनलाइन ठगी और अन्य अवैध गतिविधियों में धकेल दिया जाता है।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार हाल ही में 2,900 से अधिक भारतीय नागरिकों को ऐसी विकट परिस्थितियों से सफलतापूर्वक बचाया गया है। इसमें कंबोडिया से 1,091 व्यक्ति, लाओ पीडीआर से 770 और म्यांमार से 1,046 व्यक्ति शामिल हैं।
म्यांमार से बचाए गए लोगों में से 549 को मार्च 2025 में दो उड़ानों से स्वदेश भेजा गया था। अब 10 अप्रैल को म्यांमार-थाईलैंड सीमा से 32 अन्य भारतीय नागरिकों को बचाया गया है, जहां उन्हें कठोर और अमानवीय परिस्थितियों में घोटाले केंद्रों में काम करने के लिए मजबूर किया गया था।
विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि इस तरह के अवैध प्रवास के दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं, जिसमें भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पर प्रतिबंध शामिल हैं। ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए मंत्रालय नियमित सलाह, सोशल मीडिया अभियानों और राज्य सरकारों के साथ सहयोग के माध्यम से अपने आउटरीच प्रयासों को जारी रखे हुए है। मंत्रालय की ओर से नागरिकों से सतर्क रहने, नौकरी के प्रस्तावों और भर्ती एजेंसियों को अच्छी तरह से सत्यापित करने और विदेशी रोजगार के अवसरों के लिए केवल अधिकृत चैनलों पर भरोसा करने की अपील की गई है।

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