शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के उपनगर संजौली के ऐतिहासिक जोनांग बौद्ध मठ से दो नाबालिग भिक्षुओं के अचानक गायब हो जाने से हड़कंप मच गया है। इनमें से एक की उम्र 12 और दूसरे की 13 वर्ष है। दोनों 10 अप्रैल की दोपहर 12 से दो बजे के बीच गायब हुए हैं। मठ से सूचना मिलने के बाद स्थानीय पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर लापता भिक्षुओं की तलाश शुरू कर दी है।
जोनांग बौद्ध मठ के प्रबंधक पेमा फुंटसोक की थाना ढली में दर्ज करवाई गई गुमशुदगी की एफआईआर में यह विवरण दिया गया है। एफआईआर के अनुसार, दोनों बच्चे सामान्य दिनचर्या में शामिल हुए। इस दौरान उनकी किसी भी तरह की कोई असामान्य गतिविधि नहीं दिखी। जब मठ परिसर में उनकी तलाश की गई और वे नहीं मिले तब पुलिस को सूचित किया गया। लापता दोनों बच्चे अलग-अलग राज्यों से हैं। इनमें से एक का संबंध अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर जिला और दूसरे का पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग क्षेत्र से है।
ढली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 137(2) के तहत अपहरण का केस दर्जकर दोनों के गृह राज्यों की पुलिस को उनकी पहचान और उनके मूल निवास स्थान के बारे में सूचित किया है। ढली पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले हैं। मठ के अन्य भिक्षुओं और कर्मचारियों से भी पूछताछ की जा रही है।
यह मठ जोनांग टेकन फुत्सोक चोलिंग मठ के नाम से जाना जाता है। यह देश में इस परंपरा का इकलौता मठ है। इसकी स्थापना वर्ष 1963 में अमदो लामा जिनपा ने की थी। इसे पहले ‘सांगे चोलिंग’ के नाम से जाना जाता था। यह मठ संजौली की एक पहाड़ी पर है। यहां वर्तमान में 100 से अधिक भिक्षु रहते हैं।
यह मठ तिब्बती बौद्ध परंपरा से जुड़ा हुआ है। यह मठ भिक्षुओं को बौद्ध धर्म की पद्धतियों के प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से संचालित होता है। यहां से प्रशिक्षित भिक्षु समुदाय की सेवा और शांति के संदेश के प्रसार में अपनी भूमिका निभाते हैं। मठ की विशेष परंपरा यह भी है कि भिक्षु तिब्बती रीति के अनुसार पहाड़ी की ऊंची चोटी पर रंग-बिरंगे प्रार्थना झंडे बांधते हैं।
मठ प्रबंधन ने दोनों बच्चों के अचानक लापता होने पर चिंता जताई है। प्रबंधन ने आम लोगों से भी अनुरोध किया है कि यदि कहीं बच्चों के बारे में कोई जानकारी मिले तो तुरंत पुलिस या मठ प्रबंधन को सूचित करें। शिमला पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि बच्चों की तलाश के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।