मार्च में औसत तापमान 25.5 डिग्री दर्ज किया गया है, जो कि 30 वर्षों (1991-2020) के औसत तापमान 24.71 डिग्री से अधिक है
पश्चिमी और पूर्वी मध्य भारत में इस महीने के दौरान 1-5 दिन तक लू चली। नतीजतन, बिजली की मांग में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पूरे साल के औसत 4.3 प्रतिशत से लगभग 50 प्रतिशत अधिक है। पश्चिमी क्षेत्र में, बिजली की मांग पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत बढ़ी क्योंकि गुजरात के कई क्षेत्रों में छह दिन लू चली।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पीएमआई, जो देश की औद्योगिक गतिविधि का अनुमान लगाने के लिए एक प्रॉक्सी है, फरवरी में 56.3 से बढ़कर मार्च में 58.1 हो गया है, जो आठ महीनों में सबसे अधिक है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की ऊर्जा मांग में इंडस्ट्रियल और कमर्शियल कंज्यूमर्स की हिस्सेदारी आधे से अधिक है। ऐसे में औद्योगिक गतिविधियों में बढ़त होने का असर ऊर्जा मांग पर भी देखने को मिलेगा।
मार्च में कूलिंग आवश्यकताओं के बढ़ने के कारण ऊर्जा की उच्चतम मांग बढ़कर 235 गीगावाट पर पहुंच गई है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की उच्चतम मांग से 14 गीगावाट अधिक है।
मार्च में ऊर्जा उत्पादन सालाना आधार पर 8 प्रतिशत बढ़कर 161 बिलियन यूनिट्स (बीयू) हो गया है, जो कि ऊर्जा की मांग के मुताबिक है। फरवरी के मुकाबले ऊर्जा उत्पादन में 13 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली है।
पूरे वित्त वर्ष 25 में ऊर्जा मांग सालाना आधार पर 4.3 प्रतिशत बढ़कर 1,695 बीयू रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2022 से लेकर 2024 के बीच इसमें 7.1 प्रतिशत की सीएजीआर से इजाफा हुआ है।
क्रिसिल इंटेलिजेंस के मुताबिक, वित्त वर्ष 2026 की अप्रैल-जून तिमाही में ऊर्जा मांग पिछले साल की अवधि के मुकाबले 6.5 से 7.5 प्रतिशत बढ़ सकती है।
मौसम विभाग के मुताबिक, इस सीजन में 50 प्रतिशत से अधिक संभावना है कि तापमान सामान्य से अधिक रहे। इससे ऊर्जा मांग में भी इजाफा हो सकता है।