उन्होंने इन विषयों पर जागरूकता अभियान को लेकर जानकारी देते हुए समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, सड़क सुरक्षा और प्रदूषण के मद्देनजर देश भर में 100 ऐसे जिले चुने जाएंगे, जहां जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। खासकर वॉलंटियर्स चुने जाएंगे, जिन्हें हमारे मंत्रालय द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें डिप्टी कमिश्नर और कलेक्टर ऑफ द डिस्ट्रिक्ट लेवल के सुपुर्द किया जाएगा। इन वॉलंटियर्स की एक फौज के जरिए इन विषयों पर ध्यान दिया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, इसके अलावा, हम इन एरिया में काम करने वाले प्रमुख एनजीओ को भी संबंधित जिला सड़क सुरक्षा समिति से जोड़ना चाहते हैं, ताकि वे रोड सेफ्टी को लेकर इन एनजीओ की मदद और जरूरी कार्रवाई कर सकें।
भारत में स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर सॉल्यूशंस प्रोवाइडर इफकॉन-स्ट्राबैग के सीईओ रजत मिश्रा ने सड़क सुरक्षा और प्रदूषण को लेकर बच्चों को जागरूक करने पर जोर दिया।
उन्होंने आईएएनएस से कहा, सड़क सुरक्षा और प्रदूषण बहुत हद तक एक-दूसरे से जुड़े हैं। गाड़ियां जब ठीक तरह से नहीं चलती हैं, ओवर स्पीडिंग करती हैं तो इससे प्रदूषण होता है। गाड़ियों की इस तरह की गतिविधि से ही एक्सीडेंट्स भी होते हैं। एनफोर्समेंट, एजुकेशन, इमरजेंसी रिस्पॉन्स और इंजीनियरिंग के साथ हम इस परेशानी को खत्म करने पर काम करते हैं। लेकिन, इस परेशानी को खत्म करने का सबसे प्रभावी तरीका बच्चों को शिक्षित करना है।
उन्होंने आगे कहा, अगर बच्चों को यह शिक्षा दी जाए कि दुर्घटनाएं क्यों होती हैं तो वे खुद भी भविष्य में जागरूक नागरिक बनेंगे और घर जाकर अपने पैरेंट्स को भी शिक्षित करेंगे। बच्चों को शिक्षित करने के साथ आने वाले दो-चार वर्षों में एक्सीडेंट के साथ-साथ प्रदूषण में भी कमी देखी जा सकेगी।
उन्होंने एनफोर्समेंट की सख्त जरूरत पर प्रकाश डालते हुए कहा, केवल चालान काटे जाने से बहुत कुछ नहीं हो सकता है। चालान काटे जाने के साथ ही सजा भी जरूरी है। तीन-चार बार चालान कटने के बाद लाइसेंस कैंसिल नहीं किया गया या बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाने पर सख्त सजा नहीं दी गई तब तक चालान का कोई फायदा नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि लोग चालान को हल्के में न लें। इसके लिए कानूनों को थोड़ा सख्त किए जाने की जरूरत है।