लखनऊ। बरगदी गांव की राबिया खातून बक्शी का तालाब (बीकेटी) सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की कार्य प्रणाली से बहुत खुश हैं। अपने बच्चे को दिखाने आईं राबिया ने बताया कि अब इस अस्पताल में फिजिशियन के अलावा बच्चों, महिलाओं व सर्जरी के डाॅक्टर मिल जाते हैं और दवाएं व लैब टेस्ट भी हो जाते हैं इसलिए अब हम लोगों को बार-बार शहर का रुख नहीं करना पड़ता है।
इलाज के साथ जांच भी हो जाती है, दवाओं के लिए भी नहीं भटकना पड़ता
राबिया की तरह ही माल ब्लाॅक से आईं रामस्नेही भी बीकेटी सीएचसी के विकास से बहुत संतुष्ट दिखीं। उन्होंने बताया कि पांच साल पहले तक यहां भी इलाज नहीं मिलता था, लेकिन अब यहां पर सामान्य बीमारियों का उपचार मिल जाता है। जांच भी हो जाती है और अधिकतर दवाएं भी मिल जाती हैं इसलिए हम लोग 18 किलोमीटर दूर से यहां दिखाने आते हैं।
लखनऊ का पहला बीकेटी सीएचसी, जहां ब्लड बैंक हो रहा संचालित
राबिया और रामस्नेही जैसे हर रोज बीकेटी सीएचसी में आने वाले 350 से अधिक मरीज इस बात की तस्दीक करते हैं कि यहां बेहतर इलाज मिल रहा है। बीकेटी सीएचसी प्रदेश का पहला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है जिसे वर्ष 2022 में नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (एनक्वास) प्रमाण पत्र मिला। बीकेटी सीएचसी लखनऊ का पहला सीएचसी है, जहां ब्लड बैंक स्थापित है। यहां पर मौजूद कंगारू मदर केयर (केएमसी) सेंटर, एक्सरे टेस्ट होना, आनलाइन लैब रिपोर्ट मिलना और मरीजों से बेहतर व्यवहार बीकेटी सीएचसी को दूसरे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से अलग बनाता है। सीएचसी के अंदर की साफ सफाई और रखरखाव भी शानदार है।
सीएम योगी की पहल से अब तक प्रदेश की 507 स्वास्थ्य इकाइयां एनक्वास से लैस
एनएचएम की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवल ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश के मरीजों को गुणवत्तापूर्ण और सस्ता इलाज उपलब्ध कराने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। इसी के तहत अब तक प्रदेश की 507 स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास मिल चुका है। इनमें अयोध्या एवं प्रयागराज मंडल में बेहतर काम हुआ है। आगरा, अलीगढ़, बरेली व सहारनपुर मंडल में एनक्वास के लिए काम किया जा रहा है। वहीं योगी सरकार ने इस साल के अंत तक प्रदेश की 50 प्रतिशत स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्रमाण पत्र दिलाने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में मिशन निदेशक ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य इकाइयों को इसके लिए तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने विशेष रूप से आकांक्षात्मक विकासखंडों में सभी 105 स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्रमाणित कराने के निर्देश दिये हैं।
सीएचसी में चार बेड का न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट की भी मिल रही सुविधा
आसपास के लोगों का भी कहना है कि नजदीक में ही 100 बेड के रामसागर मिश्रा अस्पताल के होने के बाद भी बीकेटी सीएचसी में मरीजों का ओपीडी में इतनी बड़ी संख्या में आना और भर्ती होकर इलाज कराना इसकी बेहतर कार्यप्रणाली पर मुहर लगाता है। बीकेटी सीएचसी के अधीक्षक डॉ. जेपी सिंह के अनुसार उनके 30 बेड के अस्पताल में 80 प्रतिशत बेड पर हमेशा मरीज भर्ती रहते हैं। इसके अलावा सीएचसी में मौजूद चार बेड का न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू), 24 घंटे की आपातकाल सेवा, रविवार छोड़कर सभी दिन टीकाकरण होता है।
बलरामपुर और सिविल अस्पताल की तरह कम्यूटराइज्ड सुविधा का मिल रहा लाभ
सीएचसी में बलरामपुर व सिविल अस्पताल जैसी ही कम्यूटराइज्ड व्यवस्था मौजूद है। एक बार पंजीकरण कराने पर मरीज को टोकन व्यवस्था के तहत बीमारी से संबंधित डाॅक्टर, लैब और दवा वितरण में लाभ मिलता है। सीएचसी में फिजिशियन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ और सर्जन अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सीएचसी को एनक्वास मिलने के बाद लोगों में सीएचसी के प्रति अभूतपूर्व भरोसा बढ़ा है। यह ओपीडी से भर्ती तक दिखता है। लगभग सभी मरीजों को दवाएं मिल जा रही हैं। अब हम 30 बेड के अस्पताल को 50 बेड कराने और सीएचसी में हारमोनल टेस्ट की व्यवस्था के लिए प्रयासरस हैं।
आकंड़ों में बीकेटी सीएचसी
– 350 से 500 मरीज प्रति दिन ओपीडी में
– 120 से 150 प्रसव प्रति माह जिसमें 10-12 प्रसव सीजेरियन भी
– 550 एक्सरे प्रति माह
– 57 लोगों का ब्लड ट्रांसफ्यूजन हुआ 2024 में
– 60 मरीजों की लैब जांच प्रतिदिन
– 15 से 20 टेलिमेडिसिन परामर्श प्रति दिन
– 10 से 15 बच्चों को केएमसी से
ये हैं एनक्वास प्रमाणन के मानक
• अस्पताल में साफ सफाई
• मरीजों से बेहतर व्यवहार
• मरीजों का अस्पताल में खानपान
• केयर इन प्रेग्नेंसी एंड चाइल्ड बर्थ
• नियोनेटल एंड इंफेंट हेल्थ सर्विसेज़
• चाइल्डहुड एंड एडोलसेंट हेल्थ सर्विसेज
• फैमिली प्लानिंग, मैनेजमेंट ऑफ कम्युनिकेबल डिजीज
• मैनेजमेंट ऑफ सिम्पल इलनेस इनक्लूडिंग माइनर एलीमेंट्स एवं मैनेजमेंट ऑफ नॉन कम्युनिकेबल डिजीज