भोपाल : विधानसभा चुनाव 2018 में मध्यप्रदेश में प्रदेश में 14 नवम्बर बुधवार दोपहर 3 बजे तक नाम वापसी का समय तय है जबकि अधिसूचना जारी होने के बाद 2 से 9 नवम्बर तक 4 हजार 157 नामांकन पत्र जमा हुये थे। जिनकी संवीक्षा 12 नवम्बर को हुई। अब आगे नाम वापसी के बाद रिटर्निंग अधिकारी द्वारा विधान सभा चुनाव के लिये प्रत्याशियों की अन्तिम सूची जारी की जायेगी। लेकिन इस बीच बागियों ने सत्तारूढ़ भाजपा और प्रदेश में दूसरे नंबर की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की मुश्किले बढ़ा दी हैं, यदि इनमें से अधिकांश नेता यदि पार्टी के पक्ष में अपना नाम वापिस नहीं लेते हैं तो इन दोनों के लिए ही कई विधानसभा क्षेत्रों को जीतना मुश्किल हो सकता है। यहां दोनों ही पार्टियों के तकरीबन 50 से अधिक बागी चुनावी मैदान में हैं, जिनमें से लगभग 25 नेता ऐसे हैं जिनका कि अपना जनाधार है और वे पार्टी उम्मीदवार को सीधी चुनौती दे रहे हैं।
भाजपा को ग्वालियर दक्षिण से कांग्रेस प्रवीण पाठक के जरिए चुनौती दे रही है और उसने फिर एक बार नारायण सिंह कुशवाह को अपना उम्मीदवार बनाया है तो यहां उन्हें भाजपा से रहीं पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता निर्दलीय होकर चुनौती दे रही हैं। समीक्षा ने अपना इस्तीफा भी पार्टी अध्यक्ष राकेश सिंह के नाम लिख दिया है। इसी प्रकार मंत्री जयंत मलैया के सामने पांच बार के भाजपा सांसद रहे डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया बागी होकर ताल ठोक रहे हैं। पिछले 2013 के चुनाव में मलैया पांच हजार से भी कम वोटों के अंतर से जीते थे।
इसी प्रकार से मंत्री ललिता यादव ने इस बार अपनी छतरपुर की सीट बदली है और वे बड़ा मलहरा से चुनाव लड़ रही हैं। यहां उनका रेखा यादव विरोध कर रही हैं जोकि भाजपा ने लगातार दो बार की विधायक रही हैं। यहां मंत्री संजय पाठक के सामने भी गंभीर समस्या दिखाई दे रही है, उसका बड़ा कारण कांग्रेस उम्मीदवार पद्मा शुक्ला का इस बार कांग्रेस से खड़ा जो जाना है पिछली बार वे भाजपा से चुनावी मैदान में थीं और संजय उनसे सिर्फ 929 वोटों के अंतर से ही जीत दर्ज कर सके थे।
जबलपुर में भाजपा के शरद जैन की मुश्किलें भाजपा से ही बागी हुए पूर्व युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष रहे धीरज पटेरिया ने बढ़ा दी हैं, यहां की उत्तर सीट पर राज्यमंत्री शरद जैन के खिलाफ पटेरिया के मैदान में कूद जाने से पूरा माहौल बदला हुआ नजर आ रहा है। मंत्री सुरेंद्र पटवा के सामने भी चुनौती कम नहीं है, यहां जनता ने स्थानीय प्रत्याशी की मांग दोनों ही प्रमुख पार्टियों के सामने रखी थी और इसीलिए यहां से विपिन भार्गव, जोधा सिंह अटवाल बागी होकर निर्दलीय पर्चा भर चुके हैं। यही कारण है कि टिकट बांटने के दौरान ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक रोड-शो यहां करना पड़ गया था और स्थानीय जनता को यह भरोसा दिलाने का प्रयत्न हुआ है कि उनके विकास का पूरा ध्यान भाजपा के सत्ता में वापिसी के बाद रखा जाएगा।