‘जीवन ताश के पत्तों के खेल की तरह है’, जानें चाचा नेहरू के 10 अनमोल वचन

देश के पहले प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम के समय से भारतीय राजनीति के प्रमुख नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू की आज (14 नवंबर) को जयंति है. प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को प्रयागराज (इलाहाबाद) में हुआ. आजादी के बाद साल 1964 तक उन्होंने देश की सेवा की. जवाहरलाल नेहरू को आधुनिक भारत का रचयिता भी कहा जाता था.

पंडित नेहरू को बच्चों से बेहद लगाव था. बच्चे उन्हें ‘चाचा नेहरू’ के नाम से जानते थे. उनके जन्मदिन पर पूरे देश में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. जवाहर लाल नेहरू को बच्चों के प्रति काफी प्रेम व लगाव भी था और उन्होंने जिंदगी में उनके लिए कई कल्याणकारी कार्य भी किए. इसी को ध्यान में रखकर उनके जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. इस वजह से लोग लोग उन्हें प्यार से चाचा नेहरू या चाचा जी कहकर भी बुलाते थे. 

जवाहरलाल नेहरू ने योजना आयोग का गठन किया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया और तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया. उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि और उद्योग का एक नया युग शुरू हुआ. नेहरू ने भारत की विदेश नीति के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई. 

 नेहरू के अनमोल वचन

1- संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है. 
2- लोकतंत्र अच्छा है. मैं ऐसा इसलिए कहता हूं क्योंकि अन्य प्रणालियां इससे बदतर हैं.
3- संकट में हर छोटी सी बात का महत्व होता है. 
4- विफलता तभी होती है जब हम अपने आदर्शों, उद्देश्यों और सिद्धांतों को भूल जाते हैं.
5- तथ्य, तथ्य हैं और किसी की पसंद से गायब नहीं होते हैं. 
6- दूसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है.
7- आपतियां हमें आत्म-ज्ञान कराती हैं, ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं. 
8- जीवन ताश के पत्तों के खेल की तरह है. आपके हाथ में जो है वह नियति है, जिस तरह से आप खेलते हैं वह स्वतंत्र इच्छा है.
9- एक महान कार्य में लगन और कुशल पूर्वक काम करने पर भी, भले ही उसे तुरंत पहचान न मिले, अंततः सफल जरूर होता है. 
10- वह व्यक्ति जिसे वो सब मिल जाता है जो वो चाहता था, वह हमेशा शांति और व्यवस्था के पक्ष में होता है.

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