रियल एस्टेट डेटा विश्लेषण प्लेटफॉर्म सीआरई मैट्रिक्स और क्रेडाई की रिपोर्ट के अनुसार, आईटी/आईटीईएस सेक्टर ने सबसे बड़े हिस्से के रूप में अपना योगदान दिया, जो कुल लीजिंग मांग का 42 प्रतिशत था और 2023 में मात्र 28 प्रतिशत था।
रिपोर्ट में बताया गया है, यह ओवरऑल बिजनेस सेंटीमेंट और फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस मॉडल की मजबूत मांग थी, जिसने भारत के ऑफिस लीजिंग को रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचाया।
बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई ने बाजार को लीड किया, जिसमें सामूहिक रूप से मांग का 62 प्रतिशत हिस्सा था और सालाना आधार पर 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
बेंगलुरु और हैदराबाद को छोड़कर टॉप 6 शहरों में से प्रत्येक ने पिछले साल ऑफिस लीज की मांग में अपने उच्चतम स्तर को छुआ।
रिपोर्ट के अनुसार, ऑफिस लीजिंग मार्केट में भी बड़े लेन-देन की मांग अधिकतर देखी गई, क्योंकि 100,000 वर्ग फुट से ऊपर के लेन-देन ने कुल मांग में 41 प्रतिशत का योगदान दिया, जिसमें 13 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई।
पूरे भारत में ऑफिस रेंटल रेट 106 रुपये प्रति वर्ग फुट तक पहुंच गया, जो 13 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि को दर्शाती है, जो मांग और आपूर्ति के उच्च अनुपात की वजह से था। हैदराबाद, पुणे और मुंबई ने इस वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत ने 2024 में ग्रेड ए ऑफिस स्टॉक के 900 एमएसएफ का मील का पत्थर पार कर लिया। सबसे बड़े सप्लायर बेंगलुरु और हैदराबाद ने 2023 में 51 प्रतिशत की तुलना में इस सप्लाई में 55 प्रतिशत की वृद्धि की।
2024 में औसत मांग-से-आपूर्ति अनुपात 1.5 गुना होने से दिल्ली-एनसीआर, मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (एमएमआर) और चेन्नई में वेकैंसी रेट में गिरावट आई, जिससे पिछले साल पैन इंडिया वैकेंसी रेट घटकर 15.7 प्रतिशत रह गया, जबकि 2023 में यह 17.7 प्रतिशत थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि को-वर्किंग/फ्लेक्स सेगमेंट ने 2024 में ऑफिस लीजिंग की मांग में 13 एमएसएफ का योगदान दिया, जबकि पिछले 3 वर्षों में यह औसतन 10 था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि को-वर्किंग ऑपरेटरों की मांग में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें दिल्ली एनसीआर में दोगुनी और बेंगलुरु में 1.4 गुना वृद्धि दर्ज की गई।