लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में गंगा संरक्षण के कार्यों को प्रभावी बनाने और जिला गंगा समितियों की भूमिका को सशक्त करने के उद्देश्य से राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, उत्तर प्रदेश (SMCG-UP) द्वारा फेयरफील्ड बाय मैरियट, विभूति खंड, गोमती नगर, लखनऊ में तीन दिवसीय जिला परियोजना अधिकारी (DPO) कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के जिला परियोजना अधिकारियों (DPOs) ने भाग लिया।
कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि, परियोजना निदेशक डॉ. राज शेखर द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में गंगा संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए जिला परियोजना अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और कहा कि गंगा की निर्मलता और अविरलता बनाए रखने के लिए जिला गंगा समितियों को और अधिक प्रभावी रूप से कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि जिला गंगा समितियाँ स्थानीय प्रशासन, आम जनता, औद्योगिक इकाइयों और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित कर गंगा की स्वच्छता के लिए ज़मीनी स्तर पर काम करती हैं। उन्होंने हाल ही में कुंभ-2025 के सफल आयोजन पर सभी जिला परियोजना अधिकारियों और राज्य स्वच्छ गंगा मिशन की टीम को बधाई दी और कहा कि यह आयोजन गंगा की स्वच्छता और पुनर्जीवन के प्रयासों का एक बड़ा उदाहरण बना है।
विशिष्ट अतिथि, अपर परियोजना निदेशक श्री प्रभाष कुमार ने कार्यशाला के उद्देश्यों और महत्त्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह कार्यशाला जिला परियोजना अधिकारियों को गंगा संरक्षण योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए तैयार करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। उन्होंने कहा कि गंगा नदी केवल एक जलधारा नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक विरासत का प्रतीक है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि गंगा की सफाई और पुनर्जीवन केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है, बल्कि इसमें प्रत्येक नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जिला गंगा समितियों की जिम्मेदारी है कि वे अपने-अपने जिलों में जागरूकता अभियानों के साथ-साथ ठोस कार्ययोजनाओं पर अमल करें, ताकि गंगा में प्रदूषण की समस्या को समाप्त किया जा सके।
कार्यशाला में राज्य स्वच्छ गंगा मिशन-उत्तर प्रदेश के कई वरिष्ठ अधिकारी एवं विशेषज्ञ उपस्थित रहे, जिनमें श्रीमती सोनालिका सिंह (यूनिट हेड- कम्युनिकेशन एंड आउटरीच), श्री मिथलेश कुमार मिश्रा (यूनिट हेड- नॉलेज एंड प्लानिंग), श्री अनिल कुमार गुप्ता (तकनीकी सलाहकार, एसएमसीजी-यूपी) सहित अन्य गणमान्य शामिल थे।
इस कार्यशाला में जिला परियोजना अधिकारियों को वित्तीय, तकनीकी और प्रशासनिक विषयों पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया, ताकि वे अपने-अपने जिलों में गंगा संरक्षण की योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू कर सकें। कार्यशाला में चार प्रमुख तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें गंगा संरक्षण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा हुई।
पहले तकनीकी सत्र में सुश्री प्रिया अग्रवाल द्वारा “बजट और वित्त (ट्रेनिंग ऑन ट्रेजरी सिंगल अकाउंट-हाइब्रिड मोड)” विषय पर प्रशिक्षण दिया गया। इस सत्र का उद्देश्य विभिन्न वित्तीय प्रक्रियाओं और गंगा संरक्षण परियोजनाओं के लिए बजट आवंटन एवं व्यय की प्रक्रिया को स्पष्ट करना था, ताकि जिलों में इन योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन हो सके।
दूसरे तकनीकी सत्र में श्री मिथलेश कुमार मिश्रा (यूनिट हेड- नॉलेज एंड प्लानिंग, एसएमसीजी-यूपी) ने “जिला गंगा समितियों की संरचना, कार्य, भूमिका एवं जिम्मेदारियाँ” विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि दैनिक आधार पर गंगा की स्वच्छता सुनिश्चित करने, गंगा के किनारे बसे शहरों और गाँवों में जागरूकता बढ़ाने और गंगा किनारे अवस्थित औद्योगिक इकाइयों को स्वच्छता मानकों का पालन कराने में जिला गंगा समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
तीसरे तकनीकी सत्र में एनएमसीजी टीम द्वारा “गंगा जिला परियोजना प्रबंधन प्रणाली (GDPMS) पोर्टल” पर प्रशिक्षण दिया गया। इस पोर्टल के माध्यम से गंगा संरक्षण से संबंधित डेटा को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाता है और अधिकारियों को इसकी कार्यप्रणाली को समझाने के लिए इस सत्र का आयोजन किया गया।
चौथे तकनीकी सत्र में श्री अनिल कुमार गुप्ता (तकनीकी सलाहकार, एसएमसीजी-यूपी) द्वारा “अपशिष्ट जल प्रबंधन” विषय पर चर्चा की गई। उन्होंने नगरपालिकाओं और पंचायतों के स्तर पर गंगा में जाने वाले सीवेज जल की रोकथाम, औद्योगिक इकाइयों के अपशिष्ट जल शोधन और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) के कुशल प्रबंधन के तरीकों पर प्रकाश डाला।
इस कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए सभी जिला परियोजना अधिकारियों (DPOs) ने सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने जिलों में गंगा संरक्षण योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए अपने विचार साझा किए। इस दौरान अधिकारियों ने अपने-अपने जिलों में गंगा स्वच्छता के लिए अपनाए गए नवीन उपायों और कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया, जिससे अन्य जिलों के अधिकारियों को भी बेहतर रणनीतियाँ अपनाने की प्रेरणा मिली।
मुख्य अतिथि डॉ. राज शेखर ने राज्य स्वच्छ गंगा मिशन-यूपी की पूरी टीम को इस कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम जिला स्तर पर गंगा संरक्षण के प्रयासों को सुदृढ़ करने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होते हैं। उन्होंने सभी जिला परियोजना अधिकारियों को उनके ज़मीनी कार्यों के लिए सराहा और उन्हें निर्देश दिया कि वे अपने-अपने जिलों में गंगा स्वच्छता के कार्यों को पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ाएँ।
कार्यशाला के समापन सत्र में सभी उपस्थित अधिकारियों एवं प्रतिभागियों ने गंगा नदी की स्वच्छता और पुनर्जीवन के लिए अपनी निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई।
यह कार्यशाला गंगा संरक्षण और स्वच्छता को लेकर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई और भविष्य में भी इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता पर बल दिया गया।