लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के 8 साल के कार्यकाल में मिशन रोजगार ने नई ऊंचाइयां छुई हैं। इस दौरान मिशन रोजगार के माध्यम से प्रदेश में साढ़े 7 लाख से अधिक सरकारी नौकरियां प्रदान की गई हैं। इस अभियान में कार्मिक विभाग ने भी अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए युवाओं के लिए रोजगार के द्वार खोले हैं। इसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) और उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) के माध्यम से पिछले 8 वर्षों में करीब 95 अभ्यर्थियों का चयन किया गया, जो सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। योगी सरकार के इन प्रयासों ने न केवल रोजगार सृजन को गति दी, बल्कि उत्तर प्रदेश को युवा-केंद्रित विकास के पथ पर अग्रसर किया। मिशन रोजगार के तहत यह उपलब्धि राज्य के भविष्य को सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कोविड महामारी के बावजूद नहीं रुकी चयन प्रक्रिया
कोविड-19 महामारी के दौरान भी योगी सकार ने भर्ती प्रक्रिया को पटरी पर रखा। यूपीपीएससी ने 1 अप्रैल 2017 से 20 मार्च 2025 तक 48,593 अभ्यर्थियों को चुना। सबसे अधिक चयन 2019-20 में 13,893 रहा, जबकि 2024-25 में अब तक 1,918 अभ्यर्थियों का चयन हुआ। इसी तरह, यूपीएसएसएससी ने 46,032 अभ्यर्थियों का चयन किया। इसमें 2022-23 में 11,800 चयन के साथ सर्वाधिक भर्ती दर्ज की गई। वहीं, 2024-25 में अब तक 6,106 युवाओं को अवसर मिल चुका है।
4 वर्षों में 35 नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रमों का आयोजन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवंबर 2020 से नवंबर 2024 तक इन 4 वर्षों में 35 नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रमों के जरिए नवचयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र सौंपे। यही नहीं, भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और त्वरित बनाने के लिए ई-अधियाचन पोर्टल की शुरुआत की गई, जिससे समूह क, ख और ग के पदों पर चयन प्रक्रिया में तेजी आई। साथ ही, पिछले वर्ष जारी दिशा-निर्देशों ने चयन प्रक्रिया को और शुचितापूर्ण बनाया। कोविड जैसे चुनौतीपूर्ण समय में भी योगी सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को पटरी पर लाने और उसके बाद रफ्तार देकर युवाओं के भविष्य को सशक्त करने के लिए ठोस कदम उठाए।