मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की एकमात्र महिला मुस्लिम प्रत्याशी फातिमा रसूल सिद्दीकी भोपाल उत्तर सीट से सियासी रणभूमि में उतरी हैं. फातिमा अपने पिता की हार का बदला लेने के लिए कांग्रेस के आरिफ अकील के खिलाफ उतरी हैं.
फातिमा कांग्रेस के पूर्व विधायक रसूल अहमद सिद्दीकी की बेटी हैं. रसूल अहमद सिद्दीकी 90 के दशक में भोपाल उत्तर सीट से 2 बार कांग्रेस विधायक रह चुके हैं. 1992 के विधानसभा चुनाव में जनता दल के उम्मीदवार के तौर पर आरिफ अकील ने कांग्रेस के रसूल अहमद सिद्दीकी को मात देकर इस सीट पर कब्जा जमाया था.
हालांकि, बाद में आरिफ अकील कांग्रेस में शामिल हो गए. इसके बाद से अकील लगातार पांच बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं. पिछले तीन विधानसभा चुनाव से मध्य प्रदेश में एकमात्र मुस्लिम विधायक के तौर पर विधानसभा पहुंच रहे हैं.
बता दें कि आरिफ अकील से पिता की हार का बदला लेने के लिए फातिमा ने दोपहर को कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी की सदस्यता ली और रात होते-होते पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार के तौर पर घोषित कर दिया.
फातिमा अपने पिता के नाम पर भोपाल की उत्तर सीट से वोट मांग रही हैं. मुस्लिमों के साथ-साथ बीजेपी के परंपरागत वोट की उम्मीद लगाए हैं. लेकिन आरिफ अकली को मात देने इतना भी आसान नहीं है.
आरिफ ने भोपाल में 1984 में यूनियन कार्बाइड गैस लीक हादसे के बाद लोगों के बीच गहरी पैठ बनाने में कामयाब रहे थे. उन्होंने फैक्ट्री से कुछ दूरी पर एक आरिफ नगर बसाया. इस जगह पर गैस त्रासदी के पीड़ित और उनके परिवारों को बसाया गया.
कांग्रेस सरकार में मंत्री रहने के दौरान आरिफ अकील गैस त्रासदी में प्रभावित लोगों को मुआवजा दिलाने के लिए भी काफी काम किया. भोपाल उत्तर सीट पर करीब 54 फीसदी मुस्लिम वोट हैं, लेकिन सिंधी समाज के वोटर भी अच्छे खासे हैं.
वहीं, भोपाल उत्तरी सीट से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर उतरी फातिमा का चेहरा क्षेत्र के लोगों के लिए नया है. ऐसे में वो अपना परिचय पिता के जरिए दे रही है, लेकिन उनके पिता के विधायक रहे हुए काफी समय हो गए हैं. युवा पीढ़ियों के लिए नई हैं. बीजेपी ने फातिमा को यहां से ऐन वक्त पर टिकट देकर हर किसी को हैरान कर दिया था. पार्टी के इस फैसले से बीजेपी के कई दावेदार नेताओं को निराश किया है.
हालांकि इस सीट पर मतदाता अभी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है. 2013 के विधानसभा चुनाव में आरिफ अकील महज 6 हजार मतों से जीत हासिल की थी. बीजेपी ने तब भी उनके सामने मुस्लिम चेहरे के तौर पर आरिफ बेग को उतारा था, लेकिन वो आरिफ अकील को मात नहीं दे सके हैं.