पाकिस्तान : सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक समुदाय में आत्महत्या के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी

इस्लामाबाद। सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में आत्महत्या के बढ़ते मामलों ने अल्पसंख्यक समुदाय और विभिन्न मानवाधिकार समूहों को चिंतित कर दिया है। यह वह प्रांत है जहां पाकिस्तान की अधिकांश हिंदू आबादी रहती है।

विवरण से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों में लगभग 700 लोगों ने आत्महत्या कर ली है। इनमें से अधिकांश हिंदू समुदाय से हैं जो जिले की आबादी का एक बड़ा हिस्सा है।

2024 में, 76 महिलाओं सहित 146 लोगों ने अपना जीवन समाप्त कर लिया। इस साल, अब तक सात महिलाओं सहित कम से कम 19 लोगों ने आत्महत्या कर ली।

आत्महत्या रोकथाम उपायों से संबंधित संगठन उम्मीद घर के अध्यक्ष काशी बजीर ने कहा, यह गंभीर चिंता का विषय है कि पिछले कुछ सप्ताहों में छह लोगों ने आत्महत्या कर ली।

बजीर ने कहा, सभी मामलों की विभिन्न कोणों से गहन जांच की जानी चाहिए ताकि वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस को एक रणनीति तैयार करने और इस सिलिसिले को रोकने की तत्काल जरुरत है।

यहां के लोग दशकों से कई चुनौतियों, प्रशासनिक उपेक्षा का सामना कर रहे हैं और गरीबी में जी रहे हैं। कई लोगों का मानना ​​है कि वे गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट से भी पीड़ित हैं।

अधिकारी आत्महत्या के बढ़ते मामलों के पीछे मूल कारण का पता लगाने में नाकाम रहे हैं। विशेषज्ञ हिंदू समुदाय की जानबूझकर उपेक्षा को मुख्य कारण बताते हैं।

एक कार्यकर्ता फैजा इलियास ने कहा, ये हिंदू और मुस्लिम दोनों को प्रभावित कर रहे हैं, हिंदू अनुसूचित जातियों में ये घटनाएं अधिक हैं।

थारपारकर में आत्महत्या के बढ़ते मामलों का एक और कारण बुनियादी सुविधाओं का आभाव है। यहां स्वच्छ पेयजल, रोजगार और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं की भारी कमी है जो मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को जन्म देती हैं।

हिंदुओं को कई सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और प्रांतीय अधिकारियों पर समुदाय को जानबूझकर हाशिए पर धकेलने का आरोप है, जिससे वे गंभीर संकट और गरीबी में फंस गए हैं।

कराची विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की प्रमुख अन्वेषक और फैकल्टी सदस्य साइमा मासूम अली ने कहा, आत्महत्या के पहचाने गए कारणों में से एक ब्याज पर पैसा उधार लेना और फिर उसे चुकाने में असमर्थ होना है।

विशेषज्ञों ने सिफारिश की कि थारपारकर में लक्षित मानसिक स्वास्थ्य अभियान चलाने और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील कार्यक्रम चलाने की तत्काल आवश्यकता है।

 

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