न्यूयॉर्क (शाश्वत तिवारी)। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन और यूएन वूमेन ने बुधवार को सीएसडब्ल्यू के 69वें सत्र के दौरान महिला सशक्तिकरण से संबंधित दो महत्वपूर्ण विषयों पर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया, जिस दौरान भारत की डिजिटल क्रांति और महिला सशक्तिकरण की खूब प्रशंसा हुई। सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहीं केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि भारत महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के साथ आगे बढ़ रहा है और वह लैंगिक डिजिटल बंटवारे को पाटने के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का उपयोग करने के अपने अनुभव को दुनिया के साथ साझा करना चाहता है।
न्यूयॉर्क स्थित भारत के स्थायी मिशन ने ‘एक्स’ पर जानकारी देते हुए बताया कि मंत्री ने ‘महिला सशक्तिकरण के लिए डिजिटल और वित्तीय समावेशन’ और ‘महिला सशक्तिकरण के लिए वित्तपोषण – मुख्य संसाधनों की महत्ता’ विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए संसाधनों की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में विकसित यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) ने नियमित लेन-देन की प्रणाली को बदल दिया है। पूर्ण डाटा सुरक्षा के क्षेत्र को पूरी तरह से डिजिटल बना दिया गया है, जिसमें 87.35 मिलियन लेन-देन हुए हैं। महिलाएं तेजी से डिजिटल भुगतान इंटरफेस को अपना रही हैं।
इस दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने भी अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने बताया कि कैसे आधार ने भारत की अनूठी आधारभूत पहचान प्रणाली और एकीकृत भुगतान इंटरफेस ने सहज लेनदेन के माध्यम से 25 करोड़ से अधिक भारतीय महिलाओं को लाभान्वित किया है। यूएन वूमन की कार्यकारी निदेशक सिमा बहौस ने इंडिया स्टैक और यूपीआई विकसित करने में भारत के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि डिजिटल भुगतान ने महिलाओं के रोजगार और स्वायत्तता को बढ़ाया है। बता दें कि महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग का 69वां सत्र 10 मार्च को शुरू हुआ था, जोकि 21 मार्च तक चलेगा।