-डॉ0 शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की उपस्थिति में डॉ0 शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ के पांचवे दीक्षांत समारोह में 896 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गयी। दीक्षांत समारोह में 507 छात्राओें अर्थात 56.58 प्रतिशत छात्राओं एवं 389 छात्रों अर्थात् 43.42 प्रतिशत छात्रों को उपाधियाँ प्रदान की गयी। उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पदक प्राप्त करने वाले मेधावी छात्रों को कुल 116 पदक प्रदान किये गये जिनमें 72 यानि 62.07 प्रतिशत पदक छात्राओं ने तथा 44 अर्थात् 37.93 प्रतिशत पदक छात्रों ने अर्जित किये। वर्ष 2017-18 में अब तक सम्पन्न हुये 25 विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में से कुछ विश्वविद्यालयों के आकड़े साझा करते हुये राज्यपाल ने बताया कि डॉ0 भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में 85 प्रतिशत, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर में 82 प्रतिशत, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में 81 प्रतिशत तथा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी में 81 प्रतिशत छात्राओं ने पदक अर्जित किये हैं। गत वर्ष सम्पन्न हुये दीक्षांत समारोह में 51 प्रतिशत उपाधियाँ छात्राओं को प्राप्त हुयी थी जबकि इस वर्ष 5 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ यह आकड़ा 56 प्रतिशत तक पहुंच गया है। एक वर्ष में छात्राओं की संख्या में 5 प्रतिशत की वृद्धि ऐतिहासिक है।
दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी, विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के मंत्री ओम प्रकाश राजभर, अपर मुख्य सचिव दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग महेश कुमार गुप्ता, कार्यकारी कुलपति प्रवीर कुमार, कार्य परिषद, विद्या परिषद एवं सामान्य परिषद के सदस्यगण, विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपतिगण, छात्र-छात्रायें एवं उनके अभिभावकगण सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे। उप राष्ट्रपति एम0 वेंकैया नायडु की बात को दोहराते हुये उन्होंने कहा कि छात्र तीन ‘म’ पर ध्यान दें। पहला ‘माता-पिता और गुरूजनों का सम्मान करें।’ दूसरा ‘म’ यानि मातृभाषा तथा तीसरा ‘म’ यानि मातृभूमि पर अभिमान करें। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता पाने के लिये प्रमाणिकता, गुणवत्ता एवं कठिन परिश्रम की आवश्यकता है।
श्री नाईक ने कहा कि उत्तर प्रदेश आबादी की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से केवल तीन देश अमेरिका, चीन और इण्डोनेशिया ही उत्तर प्रदेश से बड़े हैं। हमारे शिक्षित मानव संसाधन को उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता है। दीक्षांत समारोह में छात्राओं के उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना करते हुये राज्यपाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं की शिक्षा का प्रतिशत बढ़ाने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 अटल बिहारी वाजपेयी के ‘सर्व शिक्षा अभियान’ और वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओे‘ अभियान को जाता है। राज्यपाल ने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का मर्म बताते हुये कहा कि निरन्तर चलते रहने से ही जीवन में सफलता प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो दिव्यांगता भी सफलता के बीच बाधा नहीं बन सकती।
मुख्य अतिथि पश्चित बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि देश एवं प्रदेश में डॉ0 शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय की विशिष्ट छवि है। दिव्यांगजनों की प्रतिभा को पहचानकर उन्हें उचित मंच मिलना चाहिए। ऐसे लोगों में कुछ विशेष नैसर्गिक प्रतिभा होती हैं, उसे सामने लाने के लिये प्रयास करना चाहिए। सभ्य समाज में दिव्यांगों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। विपरीत परिस्थितियाँ दिव्यांगजनों में हताशा भर देती है जो प्रतिभा को विकसित नहीं होने देती है। उन्होंने कहा कि ऐसे में सकारात्मक रवैया अपनाते हुये उन्हें स्वावलम्बी और राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनाने की आवश्यकता है।
दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा डॉ0 शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय समावेशी शिक्षा देने वाला अकेला विश्वविद्यालय है जहाँ 50 प्रतिशत स्थान दिव्यांगजनों के लिये आरक्षित है और इनमें भी 50 प्रतिशत केवल दृष्टिबाधित दिव्यांगों के लिये हैं। विश्वविद्यालय में सामान्य एवं दिव्यांग छात्र एक साथ शिक्षा ग्रहण करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार दिव्यांगजनों की शिक्षा एवं विकास के लिये संकल्पबद्ध है।