-मौलाना आजाद की 130वीं जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन
लखनऊ। प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक के.एल. गुप्ता ने कहा कि भारत की आजादी के लिए देश के पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि मौलाना आजाद देश में आधुनिक एवं तकनीकी शिक्षा के संस्थापक थे। उनका मानना था कि तकनीकी एवं प्रौद्योगिक शिक्षा ग्रहण करके देश के युवा विश्व में अपने को श्रेष्ठ सिद्ध कर सकते हैं। श्री गुप्ता ने कहा कि देश और प्रदेश के युवा मौलाना आजाद को अपना आदर्श बनाएं और देश में एकता और साम्प्रदायिक सदभाव स्थापित करने में अपनी भूमिका निभाएं। श्री गुप्ता प्रेस क्लब में मौलाना आजाद मेमोरियल अकादमी की ओर से आज के भारत मे मौलाना आजाद की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
पूर्व डीजीपी ने कहा कि मौलाना आजाद ने अपनी दूरदृष्टि से देश को आजाद कराकर यहां के पिछड़ेपन और अशिक्षा को दूर कर शिक्षा के संचार के कार्य को बाखूबी किया। उन्होंने पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री बनने के बाद समाजिक एवं वैज्ञानिक नीति को अपनाया, जिसके बाद देश से अच्छे वैज्ञानिक डाक्टर और कलाकार एवं शिक्षाविद निकले। मौलाना आजाद के समय ही वैज्ञानिक संस्थान बने और अकादमी बनीं। आधुनिक तकनीकी शिक्षा के बाद भारत अग्रणी उन्नतिशील शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ा। आज भारत की तकनीकी शिक्षा विदेश में धूम मचा रही है और भारत शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी देश बन चुका है। उन्होंने कहा कि आजाद एवं स्वंतंत्रता सेनानियों ने देश को आजाद कराया और शिक्षा के क्षेत्र में विकासशील देश बनाया जिसके बाद देश में औद्योगिक एवं हरित एवं श्वेत क्रांति भी हुई।
संगोष्ठी मे बोलते हुए प्रोफेसर साहिबा हबीब ने मौलाना आजाद पर बोलते हुए कहा कि मौलाना आजाद सही मायने में पत्रकार थे। उन्होंने आजादी के पहले लेख लिखने के कारण जेल गए और वहां उनकी पत्नी की तबियत खराब होने के बाद माफीनामा अग्रेेंजो के सामने कुबूल नहीं किया। उन्होंने माफी नामा के पैरोल को अस्वीकार कर दिया, जिसके चलते उनकी पत्नी की मृत्यु हो गयी और वह जेल मंे बंदी होने के कारण अपनी पत्नी के जनाजे को कंधा तक नहीं दे पाए। प्रोफेसर साहिबा हबीब ने कहा कि मौलाना आजाद ने पत्रकारिता के लिए वह कार्य कर दिया जो बड़े बड़े लोग नहीं कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि आदमी सब कुछ कुर्बान कर सकता है किंतु अपनों को कुर्बान करना बहुत मुश्किल होता है। मौलाना आजाद ने वह काम कलम से कर दिया जो बड़ी बड़ी तलवारें नहीं कर पाती हैं।
प्रोफेसर शशिकांत पांडेय ने कहा कि मौलाना आजाद जैसा व्यक्ति सदियों में पैदा होता है। उन्होंने राजनीति को देश की सेवा के लिए अपनाया था। उन्होने शिक्षा की उन्नति के लिए जो कार्य किये जिससे उपेक्षित समाज देश की मुख्य धारा में आया और उसे कौशल दिखाने का मौका मिला। इसी शिक्षा का कमाल यह है कि इसी देश का एक मल्लाह का बेटा देश का राष्ट्रपति और मिसाइल मैन बन गया। इस अवसर पर मौलाना आजाद से सम्बन्धित एक फोटो प्रदर्शनी भी प्रेस क्लब में लगायी गयी। इस मौके पर वाद विवाद प्रतियोगिता मे भाग लेने वाले छात्र छात्राओ को सम्मानित किया गया। संगोष्ठी का कुशल संचालन डा. ए क्यू हाशमी ने किया अकादमी के अध्यक्ष शारिक अलवी ने अतिथियों को धन्यवाद दिया। इस अवसर डा.जहांआरा, डा.रूकसाना लारी, कमर सुल्तानपुरी ने अपनी कविताओं से मौलाना आजाद को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर आरिफ नसीराबादी, समीरा खान, आशिफा खान ने चित्र प्रदर्शनी प्रदर्शित की।