शुक्रवार से होलाष्टक शुरू हो गए हैं, जो होली दहन तक चलेंगे। होलाष्टक का समय धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान कुछ विशेष सावधानियां बरतने और कुछ कार्यों को करने की सलाह दी जाती है।
होलाष्टक के इन आठ दिनों में वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। यही कारण है कि इस अवधि में किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते हैं।
ग्रहों का उग्र प्रभाव
होलाष्टक के दिनों में ग्रहों का प्रभाव भी उग्र होता है। अष्टमी तिथि को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र अवस्था में रहते हैं। ग्रहों की इस उग्रता के कारण अगर कोई भी शुभ कार्य किया जाता है, तो व्यक्ति के जीवन में परेशानियां, बाधाएं और समस्याएं आने की आशंका बढ़ जाती है। इस दौरान लिए गए फैसले अक्सर गलत साबित हो सकते हैं या नुकसान का कारण बन सकते हैं क्योंकि व्यक्ति शांत मन से निर्णय नहीं ले पाता।
होलाष्टक 2025 का राशियों पर अशुभ प्रभाव
मेष
होलाष्टक का समय मेष राशि के लोगों के लिए करियर में कठिनाई पैदा कर सकता है। काम को पूरा करने के लिए अधिक मेहनत करनी होगी। इन दिनों में रुपए उधार न दें, वरना आपका पैसा फंस सकता है।
वृषभ
होलाष्टक के 7 दिन वृषभ राशिवालों के लिए धन खर्च वाले हो सकते हैं। अचानक से बड़े खर्चे सामने आ सकते हैं, इस वजह से आपकी वित्तीय स्थिति खराब हो सकती है। धन की कमी के कारण मानसिक तनाव हो सकता है। किसी वाद विवाद में न पड़ें। कोई पुराना मामला है तो उसमें समझौता करना ठीक हो सकता है।
कन्या
होलाष्टक का समय कन्या राशि के लोगों के लिए खट्टे-मीठे अनुभवों वाला हो सकता है। परिवार में वाद विवाद या झगड़े की स्थिति बन सकती है, जिसके कारण परेशान होंगे। बातों को तिल का ताड़ बनाने से बचें। नौकरीपेशा लोगों को काम में लापरवाही भारी पड़ सकती है।
मकर
होलाष्टक में मकर राशि वालों को लापरवाही से बचना है, खासकर बिजनेस करने वाले लोगों को। उधार देने से धन हानि होने की आशंका है। कामकाजी लोगों पर काम का बोझ बढ़ने वाला है। कार्यस्थल पर लोग आपके काम में अपनी टांग अड़ाएंगे, जिससे आपको नुकसान हो सकता है।
कुंभ
होलाष्टक का समय कुंभ राशिवालों को पारिवारिक मोर्चे पर परेशानी देने वाला है। परिवार में सदस्यों के साथ बहस हो सकती है, इससे घर का माहौल खराब हो सकता है। स्वयं वाहन चलाते हैं तो सावधानी बरतें, नहीं तो हादसे की आशंका है।
होलाष्टक और धार्मिक मान्यताएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के 8 दिन वही दिन हैं जब हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रहलाद को 8 दिनों तक कठोर यातनाएं दी थीं। इसलिए, इन दिनों में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य शुभ नहीं माने जाते।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
फाल्गुन शुक्ल पक्ष के दौरान मौसम में परिवर्तन होता है, जिससे बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। इसलिए, इस समय अधिक सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
होलाष्टक के दौरान क्या करना चाहिए
जिस प्रकार भक्त प्रहलाद ने भगवान विष्णु की उपासना, जप, और स्तुति करते हुए उनकी भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त किया, उसी प्रकार होलाष्टक के इन दिनों में सभी उपासकों को भगवान की उपासना, स्तुति, नाम जप, मंत्र जप और कथा श्रवण करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान भक्तों के कष्टों का निवारण करते हैं।