विपक्षी दलों ने दावा किया कि महाकुंभ में जिन श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई, उनके प्रति सरकार का रवैया संवेदनहीन था। सपा के दिग्गज नेता शिवपाल यादव ने सरकार को घेरते हुए कहा, मैंने ऐसी असंवेदनशील सरकार कभी नहीं देखी। यह एक पाखंडी सरकार है, जो सिर्फ सरकारी धन का दुरुपयोग कर रही है। जो सरकार व्यवस्था और आस्था के नाम पर समन्वय नहीं बना सकती, उसे इस्तीफा दे देना चाहिए। इस सरकार ने जिस घटना में मृतकों के नाम और संख्या तक नहीं बताई, उनकी आर्थिक मदद नहीं की, उसे तो इस्तीफा देना ही चाहिए। इस सरकार ने सिर्फ अपने पीआर के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग किया है।
उन्होंने आगे कहा, यह सरकार कहती है कि महाकुंभ 144 साल बाद आया है, लेकिन ऐसा ग्रंथों में कहीं नहीं लिखा है। यदि ऐसा कोई उल्लेख है, तो इसका प्रमाण दें, नहीं तो यह केवल पीआर बढ़ाने के लिए सरकारी धन का दुरुपयोग है।
उन्होंने राज्यपाल के अभिभाषण पर कहा, राज्यपाल का जो अभिभाषण था, उसे सरकार ने झूठा बनाया था, इसलिए राज्यपाल ने उसे पढ़ने से इनकार कर दिया और दुखी होकर चली गईं। समाजवादी पार्टी के सभी विधायकों ने मांग की थी कि राज्यपाल वापस आएं, क्योंकि उन्होंने भाषण नहीं पढ़ा था।
उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र के पहले दिन, मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने विधानसभा परिसर में चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के समीप धरना दिया। सपा के सदस्य हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर नारे लगा रहे थे। सपा विधायक अतुल प्रधान खुद को जंजीरों से बांधकर विधानसभा पहुंचे और विरोध-प्रदर्शन किया।