अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारत में वोटर टर्नआउट को बढ़ाने के लिए जारी होने वाली 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग रोकने का ऐलान किया है. ट्रंप सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) ने ये फैसला किया है. DOGE का जिम्मा टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के पास है.
DOGE ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिका के करदाताओं के पैसों से जो खर्च हो रहे थे, उन्हें रद्द कर दिया गया है. वोटर टर्नआउट के लिए 21 मिलियन डॉलर भी शामिल है.
इन योजनाओं के लिए भी रोकी गई फंडिंग
- एशिया में शिक्षण परिणामों में सुधार के लिए 47 मिलियन डॉलर
- महिला सशक्तिकरण केंद्र और लैंगिक समानता के लिए 40 मिलियन डॉलर
- प्राग सिविल सोसाइटी सेंटर- 32 मिलियन डॉलर
- मोल्दोवा में भागीदारीपूर्ण और समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए 22 मिलियन डॉलर
- नेपाल में राजकोषीय संघवाद के लिए 20 मिलियन डॉलर
- नेपाल में जैव विविधता संरक्षण के लिए 19 मिलियन डॉलर
- माली में सामाजिक सामंजस्य के लिए 14 मिलियन डॉलर
- सर्बिया में सार्वजनिक खरीद में सुधार लाने के लिए 14 मिलियन डॉलर
- मोजाम्बिक स्वैच्छिक चिकित्सा पुरुष खतना के लिए 10 मिलियन डॉलर
- यूसी बर्कले को उद्यम-संचालित कौशल वाले कम्बोडियाई युवाओं के एक समूह को विकसित करने के लिए 9.7 मिलियन डॉलर दिए जाएंगे.
- दक्षिणी अफ्रीका में समावेशी लोकतंत्र के लिए 2.5 मिलियन डॉलर
- कंबोडिया में स्वतंत्र आवाज को मजबूत करने के लिए 2.3 मिलियन डॉलर
- कोसोवो, रोमा, अश्काली और मिस्र के हाशिए पर पड़े समुदायों के बीच सामाजिक-आर्थिक सामंजस्य बढ़ाने के लिए टिकाऊ पुनर्चक्रण मॉडल विकसित करने के लिए 2 मिलियन डॉलर
बीजेपी ने साधा निशाना
भाजपा ने रद्द की गई फंडिंग को भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप करार दिया. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमित मालवीय ने मामले में एक बयान जारी किया. उन्होंने कहा कि मतदाताओं के लिए 21 मिलियन डॉलर? ये निश्चित रूप से भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप है. इससे किसको फायदा होगा? सत्तारूढ़ पार्टी को तो निश्चित रूप से नहीं.