आम चुनाव भले ही सामने दिख रहा हो लेकिन महागठबंधन में शामिल विपक्षी दलों के नेता विधानसभा चुनाव की तैयारी में भी लग गए हैं। तैयारी यूं ही नहीं है। सरकार में शामिल आजसू और विपक्ष को लीड कर रही पार्टी झामुमो के प्रमुख नेताओं ने यात्राएं निकालकर राजनीतिक बढ़त लेने की कोशिश की है तो इसका काट सभी दल तलाशने लगे हैं। विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में प्रमुख दलों की सक्रियता बढ़ गई है। राजनीतिक गलियारे में सुगबुगाहट बढ़ने के साथ ही सभी दलों के नेता क्षेत्र में हाथ पैर पटकते दिख रहे हैं। विपक्षी दलों की एकता में यही बात कहीं न कहीं घातक साबित हो सकती है।
गठबंधन को दरकिनार कर सभी दलों की तैयारी राज्य की अधिकांश सीटों पर चल रही है। इससे अलग सीनियर नेताओं ने तो अपना ही मोर्चा खोल रखा है और प्राथमिकता में कहीं न कहीं परिवार ही है। कोई बेटे, पत्नी, भाई तो कोई बेटी के लिए टिकट की जुगाड़ में है। सीटें तक बांट रखी है, लोकसभा से एक की तैयारी तो विधानसभा से दूसरे की। जिन प्रमुख नेताओं के परिवार चुनाव के मैदान में तैयारियों में जुटे हैं उनमें प्रमुख तौर पर सुबोधकांत सहाय, राजेंद्र सिंह, फुरकान अंसारी, आलमगीर आलम, सुखदेव भगत आदि शामिल हैं।
कुछ नेता स्वयं के लिए लोकसभा की तैयारी में जुटे हैं तो बच्चों के लिए विधानसभा की सीटें सुरक्षित करवाने की फिराक में है। इसके विपरीत कुछ रिश्तेदारों को ही लोकसभा के लिए तैयार कर रहे हैं। ऐसे नेताओं में कई महागठबंधन की राह में अड़चन पैदा कर सकते हैं। महागठबंधन होने की स्थिति में इन्हें अधिक कुर्बानी देनी होगी।
राजेंद्र सिंह और उनके दोनों पुत्र राजेंद्र सिंह धनबाद लोकसभा सीट से दावेदार हैं तो उनके पुत्र अनूप और गौरव को बोकारो एवं बेरमो के लिए तैयार किया जा रहा है।
फुरकान-इरफान : इरफान अंसारी वर्तमान में विधायक हैं और फुरकान सांसद रह चुके हैं। फुरकान एक बार फिर लोकसभा की तैयारियों में हैं और क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है।
सुखदेव-अनुपमा-सिद्धार्थ : सुखदेव भगत वर्तमान में विधायक हैं, उनकी पत्नी अनुपमा भगत नगर परिषद अध्यक्ष और पुत्र सिद्धार्थ कांग्रेस में सक्रिय। तीनों की तैयारी बराबर है। महिला उम्मीदवार को प्राथमिकता मिलने की स्थिति में सुखदेव अनुपमा को आगे कर सकते हैं।
सुबोधकांत-सुनील सहाय : सुबोधकांत रांची से सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में अपने भाई सुनील सहाय को हटिया से टिकट दिलाने में सफलता पाई थी लेकिन वे बुरी तरह से परास्त हुए थे। इस बार फिर सुबोधकांत के साथ सुनील सहाय विभिन्न कार्यक्रमों में दिख रहे हैं।
मन्नान-हुवान : पूर्व विधायक मन्नान मल्लिक अपने पुत्र हुवान को टिकट दिलाने के लिए सक्रिय हैं। आलमगीर-तनवीर : वरिष्ठ नेता कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम अपने साथ-साथ पुत्र तनवीर आलम के लिए भी टिकट की जुगाड़ में जुटे हैं। दोनों क्षेत्र में लगातार सक्रिय भी हैं।
प्रदीप बलमुचु-सिंड्रेला : पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रदीप बलमुचु अपने साथ-साथ पुत्री सिंड्रेला के लिए भी प्रयास कर रहे हैं। सिंड्रेला पिछला चुनाव हार गई थीं।
तिलकधारी-धनंजय : कोडरमा के पूर्व सांसद तिलकधारी सिंह अपने पुत्र धनंजय सिंह को कहीं से भी टिकट दिलाना चाह रहे हैं। धनंजय कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से तैयारी भी कर रहे हैं।
ददई-अजय दुबे : धनबाद से सांसद रह चुके ददई दुबे पिछले चुनाव में अपने पुत्र अजय को विश्रामपुर से टिकट दिलाने में सफल हुए थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। एक बार फिर ददई धनबाद लोकसभा सीट से खुद दावेदार हैं और पुत्र विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र से।
योगेंद्र-निर्मला : योगेंद्र साव विधायक व मंत्री रह चुके हैं वहीं निर्मला देवी वर्तमान में विधायक हैं। इन दोनों के साथ-साथ इनकी बेटी अंबा भी चुनावी राजनीति की दावेदारी कर रही हैं।
गीताश्री-अरुण : गीताश्री उरांव विधायक और मंत्री रह चुकी हैं और उनके पति अरुण उरांव इस बार लोहरदगा सीट से कांग्रेस टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।