संयुक्त अभिभाषण में हिस्सा लेने के बाद मीडिया के सामने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मौजूद थे। तीनों आपस में बात कर रहे थे। इसी दौरान राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के भाषण को बोरिंग बताया। जबकि सांसद पप्पू यादव ने इसे लव लेटर कहकर खारिज कर दिया। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के नेताओं द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की गई।
2025 में ही राहुल गांधी ने कहा था कि राष्ट्रपति मुर्मू राम मंदिर में नहीं जा सकतीं क्योंकि वह आदिवासी हैं। जबकि सच्चाई यह है कि वह 2024 में राम मंदिर गई थीं और सरयू घाट पर महा आरती में भी शामिल हुई थीं।
इतना ही नहीं, साल 2024 में, संविधान दिवस पर संसद के संयुक्त सत्र में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपति मुर्मू का अभिवादन तक नहीं किया था। तब भारतीय जनता पार्टी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर इस बर्ताव की कड़ी आलोचना करते हुए लिखा था, “राहुल गांधी इतने अहंकारी हैं कि उन्होंने राष्ट्रपति का अभिवादन तक नहीं किया। क्या यह सिर्फ इसलिए कि वह आदिवासी समुदाय से आती हैं, एक महिला हैं और राहुल गांधी कांग्रेस के राजकुमार हैं? ये कैसी ओछी मानसिकता है?”
2022 में, कांग्रेस नेता अजय कुमार ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू पर तंज कसते हुए कहा था, वह भारत के एक गलत विचार का प्रतिनिधित्व करती हैं और उन्हें भारत में आदिवासियों का प्रतीक नहीं बनाना चाहिए।
2022 में, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने एक टीवी इंटरव्यू में राष्ट्रपति मुर्मू के लिए राष्ट्रपत्नी शब्द का इस्तेमाल किया था।
2022 में, पश्चिम बंगाल के मंत्री अखिल गिरि ने एक रैली में राष्ट्रपति के रूप-रंग पर टिप्पणी करते हुए कहा था – वे (भाजपा) कहते हैं कि मैं सुंदर नहीं दिखता। हम किसी को उनके रूप से नहीं आंकते, हम राष्ट्रपति पद का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारी राष्ट्रपति कैसी दिखती हैं?
यह घटनाएं दिखाती हैं कि कैसे कांग्रेस समेत इंडी गठबंधन के नेता राष्ट्रपति पद और विशेष रूप से एक आदिवासी महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाते रहे हैं।