राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वपूर्ण समारोह का नेतृत्व किया, जिसमें अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी, 1948 को हुई थी। तभी से इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसे सर्वोदय दिवस भी कहा जाता है। इस दिन का उद्देश्य महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देना और उन अनगिनत लोगों को सम्मानित करना है, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम में महात्मा गांधी द्वारा गाया भक्ति गीत रघुपति राघव राजा राम भी बजाया गया। भजन को राग मिश्र गारा में विष्णु दिगंबर पलुस्कर ने रचा था और ये लंबे समय से महात्मा गांधी की आध्यात्मिक और राजनीतिक यात्रा से जुड़ा हुआ है।
इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर महात्मा गांधी को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने लिखा, पूज्य बापू को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि। उनके आदर्श हमें एक विकसित भारत बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। मैं हमारे देश के लिए शहीद हुए सभी लोगों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनकी सेवा और बलिदान को याद करता हूं।
भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने भी गांधीजी को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके आत्मनिर्भरता के सिद्धांत पर जोर दिया।
उन्होंने एक्स पर लिखा, मैं सत्य और अहिंसा के अडिग अनुयायी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
उन्होंने कहा, स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर बापू के विचार आज भी राष्ट्र को आत्मनिर्भर और विकसित भारत की दिशा दिखा रहे हैं। उनके जीवन के आदर्श हमेशा पूरी मानवता को प्रेरित करते रहेंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी श्रद्धांजलि में भारत को एकजुट करने की दिशा में महात्मा गांधी के योगदान और विश्व समुदाय में उनके प्रभाव को रेखांकित किया।
उन्होंने एक्स पर लिखा, मैं कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने सत्य, अहिंसा और अन्याय के खिलाफ लड़ाई के भारतीय मूल्यों को दुनिया भर में फैलाया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे, जिन्होंने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ अहिंसा और सविनय अवज्ञा को प्रभावी हथियार के रूप में अपनाया। उनकी शिक्षाएं आज भी दुनिया भर में न्याय और शांति के आंदोलनों को प्रेरित करती हैं।