यह याचिका जैन संस्था ज्योत की ओर से दाखिल की गई है। प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया है कि झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ देश-विदेश के जैन धर्मावलंबियों का प्रमुख धार्मिक स्थल है। वहां विगत कई वर्षों से शराब एवं मांस की बिक्री हो रही है। यह जैनियों की धार्मिक आस्थाओं और भावनाओं के विपरीत है। इस तीर्थ क्षेत्र का अतिक्रमण भी हो रहा है, जिस पर राज्य सरकार अंकुश नहीं लगा पा रही है।
शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महाधिवक्ता राजीव रंजन से मौखिक रूप से कहा कि किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस लगना एक गंभीर मामला है। धार्मिक स्थलों को श्रद्धालुओं के लिए संरक्षित रखना चाहिए।
प्रार्थी की ओर से पक्ष रखते हुए वरीय अधिवक्ता डेरियस खंबाटा, अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा, खुशबू कटारुका और शुभम कटारुका ने कहा कि राज्य सरकार इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है। इस धार्मिक स्थल पर शराब एवं मांस की बिक्री होने से जैन धर्मावलंबियों की भावनाएं आहत हो रही हैं। केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट एंड फॉरेस्ट क्लाइमेट चेंज ने 5 जनवरी 2023 को एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि पारसनाथ पहाड़ी पर जो भी कार्य हो, उसमें जैन धर्म के लोगों की भावना को ध्यान में रखा जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।